बिहार चुनाव में उम्मीदवारों की लिस्ट बताती है NDA, महागठबंधन ने किस जाति पर लगाया है दांव

बिहार में अगली सरकार किसकी बनेगी, ये जातीय समीकरण तय करते हैं. प्रदेश के नतीजे किसके पक्ष में जाएंगे, इसका काफी दारोमदार इस बात पर है कि अति पिछड़ा वर्ग किसके साथ जाएगा.

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एनडीए ने महागठबंधन से काफी ज्यादा 85 उम्मीदवार अपर कास्ट से उतारे हैं.
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  • बिहार चुनाव में महागठबंधन और एनडीए के बीच जातीय समीकरण पर आधारित उम्मीदवारों का चयन प्रमुख भूमिका निभा रहा है
  • एनडीए ने अपर जाति से अधिक उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि महागठबंधन ने पिछड़ों और दलितों पर ज्यादा दांव लगाया है
  • यादव समुदाय से महागठबंधन ने ज्यादा उम्मीदवार दिए हैं, जबकि एनडीए ने कुर्मी-कोयरी जाति पर अधिक जोर दिया है
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पटना:

बिहार चुनाव में जाति बड़ा फैक्टर है. 6 नवंबर को पहले चरण की वोटिंग है. मुख्य मुकाबला दो गठबंधनों के बीच है. महागठबंधन और एनडीए. ऐसे में ये देखना दिलचस्प हो सकता है कि दोनों गठबंधनों में से किसने उम्मीदवार उतारने में जातीय समीकरण को बेहतर साधा है. इन गठबंधनों ने किस जाति वर्ग से कितने उम्मीदवारों को उतारा है, देखकर ये भी समझा जा सकता है कि इन्होंने किसपर दांव लगाया है.

अपर कास्ट

एनडीए ने महागठबंधन से काफी ज्यादा 85 उम्मीदवार अपर कास्ट से उतारे हैं. महागठबंधन ने इस वर्ग से महज 40 उम्मीदवार उतारे हैं. इस तथ्य के पीछे आप ये वजह भी मान सकते हैं कि एनडीए की मुख्य पार्टी बीजेपी पारंपरिक तौर पर अगड़ों की पार्टी रही है. दूसरी तरफ महागठबंधन की आरजेडी और कांग्रेस पिछड़ों-दलितों-ओबीसी की राजनीति करती रही हैं. पार्टियों की ये पहचान इनके सीट वितरण में भी साफ झलकती है.

यादव

आरजेडी की पहचान यादवों की पार्टी के तौर भी है. कोई ताज्जुब नहीं कि आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने बिहार चुनाव 2025 में 67 उम्मीदवार यादव समाज से उतारे हैं, वहीं दूसरी तरफ NDA ने महज 19 टिकट यादव समाज को दिए हैं.

कुर्मी-कोइरी

नीतीश कुमार इस वर्ग के बिहार में बड़े नेता हैं. ये बात NDA के उम्मीदवारों की कास्ट प्रोफाइल में भी दिखती है. NDA ने जहां 37 उम्मीदवार कुर्मी-कोइरी समाज से उतारे हैं वहीं आरजेडी ने महज 30 कुर्मी-कोइरी उतारे हैं. 

बनिया

बीजेपी ने अपनी पहचान काफी बदली है लेकिन एक वक्त में उन्हें अगड़ों-बनियों की पार्टी कहा जाता था. ताज्जुब नहीं कि उस पुरानी पहचान के काफी अंश अब भी बचे हुए हैं. NDA ने बिहार चुनाव 2025 में 27 बनिया उम्मीदवारों को मौका दिया है, जबकि महागठबंधन में यही आंकड़ा महज 13 है. 

अति पिछड़ा वर्ग

बिहार चुनाव के नतीजे किसके पक्ष में जाएंगे इसका काफी दारोमदार इस बात पर है कि अति पिछड़ा वर्ग किसके साथ जाएगा. बीजेपी-जेडीयू ने इस वोट बैंक को साधने के लिए काफी काम किया है. महागठबंधन की पार्टियां पारंपरिक तौर पर इनकी नुमाइंदगी करती रही हैं लेकिन अब हालात बदले हैं. इस बार NDA ने 29 अति पिछड़ों को टिकट दिया है, वहीं इससे महज दो ज्यादा 31 अति पिछड़ा उम्मीदवार महागठबंधन की तरफ से मैदान में हैं. 

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अनुसूचित जाति/जनजाति

इस वर्ग में भी दोनों महागठबंधन आसपास ही हैं. NDA ने 39 SC उम्मीदवार उतारे हैं तो महागठबंधन ने 41 टिकट इस वर्ग को दिए हैं. अनुसूचित जनजाति वर्ग से दोनों गठबंधनों ने 2-2 उम्मीदवार उतारे हैं. 

मुस्लिम

NDA के उम्मीदवारों की लिस्ट देखकर साफ लगता है कि उसे मुस्लिम वोट से ज्यादा उम्मीद नहीं है. उसके 243 उम्मीदवारों में से महज 5 मुस्लिम हैं, लेकिन महागठबंधन ने 30 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. हालांकि सीमांचल में ओवैसी की पार्टी महागठबंधन से मुस्लिम वोट झटकने के लिए मैदान में है.

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