बिहार चुनाव: मगध में पुराने दिग्गजों पर बीजेपी का दांव, पढ़ें पूरी इनसाइड स्टोरी

गया जिले के डॉ. प्रेम कुमार अकेले ऐसे उम्मीदवार नही हैं, जिन्हें बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी की पहली सूची में बिहार के 71 उम्मीदवारों के नाम घोषित किया गया, जिनमें मगध क्षेत्र से सात उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं.

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  • BJP ने बिहार चुनाव में मगध क्षेत्र की सात सीटों पर अपने ज्यादातर अनुभवी और जिताऊ उम्मीदवारों को चुना है
  • गया सदर से आठ बार के विधायक डॉ. प्रेम कुमार को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है
  • नवादा जिले की पांच सीटों में से अरूणा देवी अकेली एनडीए उम्मीदवार हैं जो 2020 में जीती थीं
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पटना:

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बिहार चुनाव में इस बार मगध की सीट से कई बड़े दिग्गजों पर दाव लगाया है. बीजेपी ने 8 बार के विधायक डॉ. प्रेम कुमार को गया सदर और चार दफा की विधायक अरूणा को वारिसलीगंज से बनाया उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी मगध में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. डॉ. प्रेम कुमार को 'गया सदर' से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. डॉ. प्रेम कुमार बिहार बीजेपी के काफी पुराने लीडर रहे हैं. वह 1990 से लगातार गया सदर से निर्वाचित होते रहे हैं. बीजेपी ने आठ दफा से विधायक रहे डॉ. प्रेम कुमार पर दांव लगाया है. गया जिले के डॉ. प्रेम कुमार अकेले ऐसे उम्मीदवार नही हैं, जिन्हें बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी की पहली सूची में बिहार के 71 उम्मीदवारों के नाम घोषित किया गया, जिनमें मगध क्षेत्र से सात उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. मगध के सात उम्मीदवारों में ज्यादातर जिताऊ उम्मीदवारों पर पार्टी ने दांव लगाया है.

वारिसलीगंज से अरूणा देवी पर दांव

वारिसलीगंज की निवर्तमान विधायक अरूणा देवी पर फिर से बीजेपी ने दाव लगाया है. अरूणा देवी 2000 से चार दफा निर्वाचित हुई हैं. पहली दफा 2000 में अरूणा निर्दलीय निर्वाचित हुई थीं. इसके बाद फरवरी 2005 में एलजेपी से जीती थी. जबकि 2015 और 2020 में अरूणा देवी बीजेपी से निर्वाचित हुई हैं. अरूणा देवी बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी है. 2020 के चुनाव में नवादा जिले के पांच सीटों में से अकेला अरूणा देवी एनडीए से निर्वाचित हुई थीं. बाकी चार सीटों पर महागठबंधन की जीत हुई है. हालांकि नवादा जिले के हिसुआ से पूर्व विधायक अनिल सिंह को उम्मीदार बनाया गया है. अनिल सिंह तीन दफा बीजेपी से निर्वाचित हुए हैं. अनिल सिंह 2005, 2010 और 2015 में विधायक निर्वाचित हुए थे. 2020 के चुनाव में कांग्रेस की नीतू सिंह से पराजित हुए थे. लेकिन बीजेपी ने चौथी दफा भी अनिल सिंह पर भरोसा जताया है.

वजीरगंज से विरेंद्र सिंह और गुरूआ में उपेन्द्र दांगी उम्मीदवार

गया जिले के वजीरगंज से विरेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है. विरेंद्र सिंह वजीरगंज के मौजूदा विधायक हैं. वह 2010 में भी बीजेपी से निर्वाचित हुए थे. हालांकि 2015 के चुनाव में विरेंद्र सिंह 12 हजार 759 मतों से हार गए थे. तब कांग्रेस के अवधेश सिंह निर्वाचित हुए थे. यही नहीं, गया जिले के गुरूआ से उपेन्द्र दांगी को उम्मीदवार बनाया है. 65 वर्षीय दांगी फिलहाल एमएलसी हैं. उपेन्द्र दांगी का सियासी सफर राजद से शुरू हुआ था. इसके बाद 'जदयू' और 'हम' होते हुए बीजेपी में हैं. चूकिं 2015 के चुनाव में बीजेपी से राजीव नंदन दांगी निर्वाचित हुए थे. लेकिन 2020 के चुनाव में पराजित हो गए थे. फिर राजीव नंदन दांगी का आकस्मिक निधन हो गया. राजीव दांगी के विकल्प के रूप में दांगी समाज के मजबूत लीडर उपेन्द्र दांगी को उतारा गया है.

औरंगाबाद में बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के पुत्र

औरंगाबाद में बीजेपी ने त्रिविक्रम नारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया है. त्रिविक्रम सिंह, बिहार बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सदस्य गोपाल नारायण सिंह के पुत्र हैं. रोहतास के जमुहार के रहनेवाले त्रिविक्रम नया चेहरा हैं, लेकिन उनका राजनीतिक विरासत मजबूत रही है. 2015 में गोपाल नारायण सिंह औरंगाबाद के नबीनगर से चुनाव लड़े थे. लेकिन पराजित हो गए थे. लिहाजा, उनके बेटे त्रिविक्रम सिंह पर बीजेपी ने दांव लगाया है.

अरवल में मनोज शर्मा और गोह में रणविजय सिंह

दूसरी तरफ, अरवल में बीजेपी ने मनोज शर्मा को उम्मीदवार बनाया है. मनोज शर्मा सियासी तौर पर काफी मजबूत रहे हैं. वह औरंगाबाद के गोह से विधायक भी रहे हैं. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हैं. यही नहीं, मनोज शर्मा के पिता डीके शर्मा दो दफा गोह के विधायक रहे हैं. 2020 में अरवल में बीजेपी से दीपक कुमार शर्मा चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे. अब उनकी जगह मनोज शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है. बीजेपी ने औरंगाबाद के गोह से रणविजय सिंह को उम्मीदवार बनाया हैं. 2020 के चुनाव में गोह से आरएलएसपी से रणविजय सिंह और बीजेपी से मनोज शर्मा चुनाव लड़े थे. तब राजद से भीम कुमार सिंह 35 हजार 618 मतों के अंतर से जीते थे. मनोज शर्मा दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 45 हजार 792 मत मिला था. जबकि रणविजय सिंह को 44 हजार 50 मत. हालांकि गोह सीट पर मनोज शर्मा और रणविजय सिंह का बराबर का दबदबा रहा है. लेकिन बीजेपी ने समझदारी दिखाते हुए गोह सीट पर रणविजय सिंह को जबकि मनोज शर्मा को अरवल से उम्मीदवार बनाया गया है. रणविजय सिंह गोह से तीन दफा विधायक चुने गए. जबकि मनोज शर्मा एक दफा और उनके पिता डीके शर्मा दो दफा जीते थे.

एलजेपी (आर) को दिया रजौली और बोधगया सुरक्षित सीट

साल 2020 के चुनाव में मगध की कुल 10 सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ी थी. इनमें आठ सीटों के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी गई है. जबकि नवादा के रजौली सुरक्षित और गया के बोधगया सुरक्षित एलजेपी आर को दे दी गई है. 2020 के चुनाव में रजौली में बीजेपी के पूर्व विधायक कन्हैया रजवार और बोधगया में हरि मांझी दूसरे स्थान पर रहे थे.

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2020 में मगध में बीजेपी के मात्र तीन विधायक

देखें तो, मगध क्षेत्र में कुल 26 सीटें हैं. नवादा में पांच, गया में 10, जहानाबाद में तीन, अरवल में दो और औरंगाबाद में छह सीटे हैं. 2020 में बीजेपी कुल 10 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इनमें से सिर्फ तीन सीटें वारिसलीगंज, गया सदर और वजीरगंज बीजेपी जीती थी. एनडीए के बाकी के 16 सीटों में सहयोगी जदयू और हम सेक्युलर लड़ी थी. जदयू 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, वह एक सीट जीत पाई थी. जबकि हम सेक्युलर पांच सीटें लड़ी थी, जिसमें तीन सीटें जीती थी. मगध के 26 सीटों में से कुल सात सीटें एनडीए जीती थी, जबकि 19 सीटें महागठबंधन. महागठबंधन में भी सर्वाधिक 14 सीटें आरजेडी, तीन कांग्रेस और दो सीटें सीपीआईएमएल जीती थी. मगध का इलाका बिहार की कुर्सी के लिए अहम रहा है. ऐसे में एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए इम्‍तेहान की घड़ी है.

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