- बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की एकता मजबूत रही जबकि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर विवाद हुआ
- महागठबंधन के भीतर बिहार की तेरह सीटों पर कांग्रेस और सीपीआई के बीच फ्रेंडली फाइट देखने को मिली है
- बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में अब तक कांग्रेस और सीपीआई ने बारी-बारी से चुनाव जीते हैं
बिहार बिधानसभा चुनाव समय के साथ साथ दिलस्प मोड़ पर पहुंचता जा रहा. इस बार के चुनाव में जहां एनडीए गठबंधन की एकता अंत तक मजबूत नजर आई, वहीं महागठबंधन में टूट ने महागठबंधन की एकता के दावे की पोल खोल दी है. इस बात का एहसास उस वक्त ही हो गया था जब लंबे समय तक शीट शयरिंग का फार्मूला नहीं सुलझ पाया. वहीं टिकट के बंटवाड़े में आखिर तक जारी खींचतान से ही अंदाज लगाया जा रहा था कि इस बार महागठबंधन अपनी एकता को कायम नहीं रख पायेगा. इसका परिणाम भी सबसे पहले बिहार के बेगूसराय में देखने को मिला, जब बछवाड़ा सीट पर कांग्रेस और सीपीआई चुनावी मैदान में एक दूसरे के ही आमने-सामने आ गए. इसके बाद बिहार के अन्य सीट पर भी फ्रेंडली फाइट का सिलसिला शुरू हो गई. जानकारी के मुताबिक बिहार के तेरह सीटों पर महागठबंधन फ्रेंडली फाइट में चुनाव लड़ रही है. खास बात यह है सबसे पहले इसकी शुरुआत बेगूसराय के बछवाड़ा सीट से हुई तो बछवाड़ा सीट देश भर में सुर्खियों में आ गया. इस तरह महागठबंधन इस बार बिहार के 255 सीटों पर अपना भाग्य आजमा रही है.
बछवाड़ा सीट का इतिहास भी जान लीजिए
बछवाड़ा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास काफी दिलचस्प रहा है. ये विधानसभा क्षेत्र अब तक किसी राजनीतिक दल का सगा नहीं रहा बछवारा ने आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव से ही अपने लिए विधायकों का चुनाव शुरू किया. पिछले छह विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां किसी भी पार्टी को लगातार दो बार जनादेश नहीं मिला यह क्षेत्र 24-बेगूसराय लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, जिसमें चेरिया बरियारपुर, बछवारा, तेघरा, मटिहानी, साहबपुर कमल, बेगूसराय और बखरी (एससी) जैसे सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इस विधानसभा सीट पर अब तक हुए कुल 17 चुनावों में 60 वर्षों तक बारी-बारी से कांग्रेस व CPI सिर्फ दो पार्टियों का कब्जा रहा. कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर 8 बार जबकि सीपीआई ने 4 बार अपनी जीत हासिल की है.
खास बात यह है कि दोनों ही दलों के सिर्फ दो नेता ही सबसे लंबे समय तक इस सीट पर बतौर विधायक रह पाए हैं. कांग्रेस से रामदेव राय वहीं सीपीआई से अवधेश राय इस सीट से लंबे समय तक विधायक रहे. दोनों ही यादव जाति से आते हैं. शुरुआती चुनावों में इस सीट पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी व संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने एक- एक बार अपनी जीत दर्ज की है. इस सीट पर अबतक एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में रामदेव राय ने अपनी जीत हासिल की है. राष्ट्रीय जनता दल व भारतीय जनता पार्टी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
1952 से 2020 तक के विधायक
- 1952 मिट्ठन चौधरी ( कांग्रेस )
- 1957 राम बहादुर शर्मा (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
- 1962 गिरीश कुमारी (कांग्रेस)
- 1967 राम बहादुर शर्मा (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
- 1969 भुवनेश्वर राय (कांग्रेस )
- 1972 रामदेव राय (कांग्रेस )
- 1977 रामदेव राय (कांग्रेस )
- 1980 रामदेव राय (कांग्रेस)
- 1985 अयोध्या प्रसाद महतो (सीपीआई)
- 1990 अवधेश राय (सीपीआई)
- 1995 अवधेश राय (सीपीआई)
- 2000 उत्तम यादव ( राजद )
- 2005 (फरवरी) रामदेव राय ( निर्दलीय )
- 2005 (अक्टूबर) रामदेव राय (कांग्रेस)
- 2010 अवधेश राय ( सीपीआई )
- 2015 रामदेव राय ( कांग्रेस )
- 2020 सुरेंद्र कुमार मेहता (भाजपा)
जातीय समीकरण भी समझें
बछवाड़ा सीट पर कुल 310463 वोटर्स में भूमिहार 12%,ब्राह्मण 3.5%, राजपूत 3.5%, ओबीसी 56%, दलित 14%, मुस्लिम 9% और अन्य 2% हैं. ओबीसी में यादव 15%, कुर्मी 5% और मांझी 2% हैं.
क्या कहते हैं CPI उम्मीदवार
महागठबंधन से CPI उम्मीदवार अवधेश राय ने कहा कि महागठबंधन में कांग्रेस हठ धर्मिता कर रही है. महागठबंधन से बछवाड़ा के वह असली उम्मीदवार हैं उन्हें राजद , वामदलों के अन्य घटक दल समेत वीआईपी का समर्थन प्राप्त है. कांग्रेस के उम्मीदवार पिछली बार भी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में उतरे थे. लेकिन इस बार महागठबंधन एकजुट है और बिहार में तेजस्वी यादव सरकार दो तिहाई से ज्यादा सीट जीत कर बनाएगी. अवधेश राय CPI के जिला मंत्री भी हैं बछवाड़ा में कांग्रेस उनके खिलाफ चुनाव लड़ रही है. इसका असर बेगूसराय में कांग्रेस उम्मीदवार पर पड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह चाहेंगे कि बेगूसराय के सातों सीट पर महागठबंधन उम्मीदवार की जीत हो. लेकिन बछवाड़ा में कांग्रेस है हठधर्मिता नहीं छोड़ती है तो वहां की जनता क्या निर्णय लेगी उसका वह कसूरवार वहीं होंगे.
आपको बता दें कि सीपीआई बिहार में 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जहां कांग्रेस और सीपीआई बिहार के तीन सीटों पर आमने-सामने है. अवधेश राय ने कहा कि बछवारा में उन्होंने पहले भी विधायक रहते हुए विकास किया था उनका मुख्य एजेंडा है शिक्षा स्वास्थ्य और पलायन रोकना जो तेजस्वी यादव भी चाहते हैं. तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने के लिए महागठबंधन एकजुट है और बिहार में महा गठबंधन की सरकार बनेगी. बछवाड़ा में कांग्रेस के कुछ साथी कन्नी कटा रहे हैं वह कांग्रेस के नेताओं से अपील किया कि बैठकर इस मामले को सुलझा लिया जाए नहीं तो इसका असर दूसरे जगह भी पड़ सकता है.
क्या कहते हैं कांग्रेस प्रत्याशी
उधर, कांग्रेस उम्मीदवार शिव प्रकाश गरीबदास ने कहा कि महागठबंधन के असली उम्मीदवार वह हैं, उन्हें राजद समेत अन्य घटक दलों का समर्थन प्राप्त है. तेजस्वी यादव ने उन्हें समर्थन दिया है. सीपीआई के उम्मीदवार बीजेपी का बी टीम बनकर लगातार काम कर रहे हैं. लोकसभा हो या विधानसभा हो जिला परिषद हो हर चुनाव वह लड़ते हैं. पिछले सात चुनाव में मात्र एक बार वह चुनाव जीतने का काम किए हैं. बिहार में तेजस्वी यादव अपने चाचा नीतीश से परेशान है वहीं हम यहां बछवारा में अपने चाचा से परेशान हैं. अवधेश राय हमेशा बीजेपी का बी टीम बनाकर काम करते हैं.
बछवाड़ा में उनके पिताजी के समय में काफी विकास का काम हुआ था लेकिन पिछले कुछ सालों से बीजेपी के यहां विधायक हैं लेकिन उन्होंने काम नहीं किया है, उनका फोकस युवाओं के साथ-साथ शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर है. गरीबदास ने कहा कि की तीन जगह पर कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रही है जो महागठबंधन के विपरीत है बछवाड़ा की जनता ने तय कर लिया है इस बार उन्हें वह जीताने का काम करेगी. वह जनता की आवाज बन गए हैं.