Tarari assembly constituency: बिहार के भोजपुर जिले की तरारी विधानसभा सीट (Tarari Assembly Seat), सबसे दिलचस्प राजनीतिक लड़ाइयों में से एक का सेंटर रही है. यह सीट आरा लोकसभा क्षेत्र में आती है और ऐतिहासिक रूप से यह इलाका कभी नक्सल समस्या से प्रभावित रहा था, लेकिन अब यहां का चुनावी मुकाबला पूरी तरह से विकास और जातीय समीकरणों पर केंद्रित हो गया है.
चुनावी इतिहास
तरारी सीट पर पिछले कुछ चुनावों में भाकपा (माले) (CPI(ML) का दबदबा रहा, जिसे हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तोड़ा है. 2020 में भाकपा (माले) के उम्मीदवार सुदामा प्रसाद ने जीत हासिल की थी. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय को 11,015 वोटों के अंतर से हराया था. सुदामा प्रसाद लगातार दूसरी बार विधायक बने थे. वहीं, 2024 में सुदामा प्रसाद के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हो गई और उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज करते हुए भाकपा (माले) के गढ़ को भेद दिया. भाजपा के विशाल प्रशांत ने भाकपा (माले) के राजू यादव को 10,612 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट जीती और गठबंधन को तगड़ा झटका दिया.
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण तरारी की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं. इस क्षेत्र में भूमिहार मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है और उन्हें निर्णायक भूमिका में माना जाता है. 2020 के चुनाव के अनुसार, तरारी विधानसभा क्षेत्र में 2.93 लाख से अधिक रजिस्टर्ड मतदाता थे.
चुनावी मुद्दे
तरारी विधानसभा क्षेत्र में चुनावी मुद्दे स्थानीय विकास से जुड़े रहे हैं, जिसमें शिक्षा, चिकित्सा और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ रोजगार और पलायन, गरीब और किसानों के मुद्दे शामिल हैं.