बिहार की इन 11 सीटों पर महागठबंधन में 'फ्रेंडली फाइट', कितना होगा नुकसान?

Bihar Election 2025: बिहार में कई सीटें ऐसी थीं, जिन पर महागठबंधन के ही दो उम्मीदवारों ने पर्चा भर लिया था, लेकिन कुछ उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस ले लिया है. इसके बावजूद 11 सीटों पर दोस्ताना लड़ाई है.

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बिहार में महागठबंधन की आपसी लड़ाई
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  • बिहार चुनाव के दोनों चरणों के लिए नामांकन की अंतिम तारीख खत्म होने के बाद मुकाबले अब तय हो गए हैं
  • महागठबंधन के अंदर कांग्रेस और अन्य दलों के बीच 11 विधानसभा सीटों पर आमने-सामने का मुकाबला
  • कई सीटों पर महागठबंधन के दो उम्मीदवारों के बीच दोस्ताना लड़ाई से गठबंधन को नुकसान पहुंचने की आशंका
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बिहार में दोनों चरणों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख खत्म हो चुकी है. यानी तमाम सीटों पर किसके बीच मुकाबला हो रहा है, ये बात अब साफ हो चुकी है. इसके साथ ही उन विधानसभा सीटों का भी पता लग चुका है, जहां पर महागठबंधन के ही दल एक दूसरे को चुनौती देते हुए नजर आएंगे. इस दोस्ताना लड़ाई को लेकर फिलहाल लोगों में भी कन्फ्यूजन है. कुल मिलाकर ऐसी 11 सीटें हैं, जहां पर कांग्रेस और बाकी गठबंधन के दल आमने-सामने की लड़ाई में हैं. आइए जानते हैं कि कौन सी वो सीटें हैं, जहां पर महागठबंधन के दल एक दूसरे के खिलाफ उतरे हैं. 

11 सीटों पर टकराव की पूरी लिस्ट
 

  • 1. वैशाली संजीव सिंह (कांग्रेस) Vs अजय कुमार कुशवाहा (राजद)
  • 2. बिहार शरीफ ओमार खान (कांग्रेस ) VS शिव कुमार यादव (CPI)
  • 3. बछवारा शिव प्रकाश गरीब दास (कांग्रेस) Vs अवधेश कुमार राय (CPI)
  • 4. राजापाकर प्रतिमा कुमारी (कांग्रेस ) Vs मोहित पासवान (CPI)
  • 5. बेलदौर मिथिलेश कुमार निषाद (कांग्रेस) Vs तनीषा भारती (IIP)
  • 6. चैनपुर गोविन्द बिन्द (VIP ) Vs बृज किशोर बिन्द (राजद)
  • 7. कहलगांव प्रवीण सिंह कुशवाहा (कांग्रेस) Vs रजनीश भारती (राजद)
  • 8. सुल्तानगंज ललन कुमार (कांग्रेस ) Vs चंदन कुमार (राजद)
  • 9. सिकंदरा विनोद कुमार चौधरी (कांग्रेस ) Vs उदय नारायण (राजद)
  • 10. नरकटियागंज शाश्वत केदार (कांग्रेस) Vs दीपक यादव (राजद)
  • 11. करगहर संतोष कुमार मिश्रा (कांग्रेस) Vs महेंद्र प्रसाद गुप्ता (CPI)

कई सीटों पर दोस्ताना लड़ाई

बिहार में एनडीए के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया, जिसे महागठबंधन के नाम से जाना जाता है. हालांकि सभी सीटों पर ये गठबंधन कायम नहीं रहा. दूसरे चरण की 9 सीटों पर और पहले चरण की 6 सीटों पर एक ही गठबंधन के उम्मीदवार आमने सामने आ गए, हालांकि इनमें से कुछ सीटों पर उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस ले लिया है. दूसरे चरण पर नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 23 अक्टूबर थी. 

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इन सीटों पर वापस लिए गए नाम

गठबंधन के ही दो उम्मीदवारों की आपसी लड़ाई से कहीं न कहीं आरजेडी और कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ सकता है, ऐसे में नामांकन वापसी की आखिरी तारीख से ठीक पहले तमाम उम्मीदवारों से बातचीत की कोशिश की गई. आखिरी दिन तीन उम्मीदवार मान गए और अपना नाम वापस ले लिया. इनमें बाबूबरही सीट पर वीआईपी उम्मीदवार ने नाम वापस ले लिया, वारसलीगंज में कांग्रेस उम्मीदवार ने नाम वापस लिया. लालगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ने नाम वापस ले लिया. इसके अलावा प्राणपुर सीट पर भी कांग्रेस उम्मीदवार की नाम वापसी हुई. इन तमाम सीटों पर महागठबंधन के दूसरे दलों के उम्मीदवार आरजेडी के खिलाफ उतर गए थे. 

पहले चरण की दोस्ताना लड़ाई

  • वैशाली विधानसभा सीट पर कांग्रेस बनाम आरजेडी
  • बछवाड़ा सीट पर सीपीआई बनाम कांग्रेस 
  • राजापाकड़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस बनाम सीपीआई 
  • बिहारशरीफ सीट पर कांग्रेस बनाम सीपीआई
  • गौराबौराम सीट पर आरजेडी बनाम वीआईपी, वीआईपी से मुकेश साहनी के सगे भाई 

दूसरे चरण में आपसी लड़ाई 

  • चैनपुर विधानसभा सीट पर वीआईपी बनाम आरजेडी 
  • कहलगांव सीट पर कांग्रेस बनाम आरजेडी
  • सुल्तानगंज सीट पर आरजेडी बनाम कांग्रेस 
  • सिकंदरा सीट पर आरजेडी बनाम कांग्रेस 
  • नरकटियागंज की सीट पर आरजेडी बनाम कांग्रेस  
  • करगहर सीट पर सीपीआई बनाम कांग्रेस की लड़ाई 

कुल इतनी सीटों पर दोस्ताना मुकाबला

कुल मिलाकर अब पहले चरण की 5 और दूसरे चरण की 6 सीटों पर दोस्ताना लड़ाई तय हो चुकी है. वहीं सुगौली सीट से वीआईपी उम्मीदवार का पर्चा रद्द हो गया, जबकि मोहनिया सीट से आरजेडी उम्मीदवार का नामांकन रद्द हुआ. मोहनिया सीट से आरजेडी ने अब एक निर्दलीय उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया है. इसी तरह से मढ़ौरा सीट पर एनडीए का कोई उम्मीदवार नहीं है . ये सीट चिराग पासवान को दी गई है, लेकिन पार्टी सिंबल की कुछ खामी को लेकर उनकी पार्टी के उम्मीदवार का पर्चा खारिज हो गया.

जिन सीटों पर महागठबंधन के दो उम्मीदवार हैं, वहां भारी नुकसान हो सकता है. इस आपसी लड़ाई का सीधा फायदा एनडीए को पहुंच सकता है. यानी इन 11 सीटों पर उम्मीदवारों की आपसी लड़ाई ने एनडीए के लिए मुकाबला आसान कर दिया है. 

क्या है ‘फ्रेंडली फाइट'?

राजनीतिक शब्दावली में फ्रेंडली फाइट का मतलब है जब गठबंधन के दो सहयोगी दल एक ही सीट पर अपने-अपने उम्मीदवार उतारते हैं, लेकिन एक-दूसरे के खिलाफ तीखा हमला नहीं करते। यह स्थिति आमतौर पर तब बनती है जब सीट बंटवारे में आपसी सहमति नहीं बन पाती या स्थानीय स्तर पर नेताओं का दबाव अधिक होता है।

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