देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति के अमर योद्धा बाबू कुंवर सिंह की धरती जगदीशपुर का राजनीतिक और सामाजिक समीकरण शुरू से ही सबसे अलग रहा है. पिछले तीन चुनावों में आरजेडी यहां से हैट्रिक लगा अपने जीत का परचम जगदीशपुर से लहरा चुकी है.पार्टी अब यहां से जीत का चौका लगाने में की पूरी तैयारी में जुटा हुई है. वहीं एनडीए की ओर से जेडीयू राजद के विजयी रथ के रोकने के लिए साम दाम दंड भेद के साथ हरसंभव प्रयास कर रहा है. चुनाव के पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस दो बार जगदीशपुर का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने जगदीशपुर कि जनता को खासा सौगातभी दिया है. सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से नीतीश कुमार करोड रुये की सौगात दे चुके हैं.
आरजेडी की बड़ी तैयारी
महागठबंधन से ये सीट एक बार फिर से आरजेडी के कोटे में ही है, जबकि एनडीए में यह सीट अभी जेडीयू के खाते में है. इस बार जनसुराज भी अपनी काफी सक्रिय भूमिका में दिखाई पड़ रही है. आपको बताते चले कि भोजपुर का जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र जिले के पश्चिम और दक्षिण इलाके के गांवों और नगर निकाय को अपने भीतर समेटे हुए है. नए परिसीमन में यह विधानसभा क्षेत्र जगदीशपुर प्रखंड और नगर समेत पीरो की 16 पंचायतों को मिलाकर बनाया गया है.
कुशवंशी और यदुवंशी के बीच मुकाबला
जगदीशपुर में कुशवंशी और यदुवंशी के बीच हमेशा से ही कड़ा मुकाबला होता रहा है जिसमें रघुवंशी हमेशा निर्णायक भूमिका में रहा है. हालांकि, कई मौकों पर सवर्ण भी जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं. कुछ बार तो सवर्ण ताज हासिल करने में कामयाब भी रहे हैं. वैसे कांग्रेस के शासनकाल और जनता पार्टी की लहर के समय में भी यहां से निर्दलीय जीत का झंडा बुलंद करते रहे थे. वर्ष 1985 में लोकदल के टिकट पर पूर्व मंत्री रहे हरिनारायण सिंह ने जीत हासिल की थी. वहीं वर्ष 1990 में पहली बार मैदान में उतरी आईपीएफ (अब भाकपा माले) के प्रत्याशी के तौर पर भगवान कुशवाहा ने अपने जीत का परचम बुलंद किया था. इसके बाद से यहां जातीय समीकरण हावी होता गया और जनता दल की लहर में हरिनारायण सिंह ने 1995 के चुनाव में अपनी जीत दर्ज कराई थी. तब तक भगवान कुशवाहा माले छोड़ कर नीतीश कुमार का दामन थाम चुके थे और वर्ष 2000 के चुनाव में समता पार्टी के टिकट पर उन्हें जीत भी मिली.
जेडीयू के सामने आरजेडी बड़ी चुनौती
इसके बाद बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन होने पर श्रीभगवान सिंह कुशवाहा ने जीत का सिलसिला जारी रखा और वर्ष 2005 के दोनों ही चुनावों में उन्हें जीत मिली. एनडीए की सरकार में लव-कुश समीकरण का ध्यान रखते हुए उन्हें भी मंत्री बनाया गया. हालांकि वर्ष 2008 में नया परिसीमन बनने के बाद से यहां आरजेडी ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई. वर्ष 2010 के बाद से तो जातीय समीकरण का लाभ लेते हुए आरजेडी जीत की हैट्रिक लगा चुकी है. रामविशुन सिंह लोहिया को आरजेडी ने दो बार मौका दिया और वे दोनों ही चुनाव जीतने में सफल रहे. नए गठबंधन में वर्ष 2015 में जेडीयू का साथ मिला तो वर्ष 2020 में माले के साथ लड़े आरजेडी को और मजबूती मिली. माले का यहां अपना जनाधार रहा है मगर इस बार आपजेडी के टिकट पर रामविशुन सिंह लोहिया के पुत्र कुणाल किशोर चुनावी रण में उतरे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि क्या पिछले दो बार से अपने जीत प्राप्त करने वाले उनके पिता कि विरासत वो आगे ले जाते हैं एनडीए के जेडीयू प्रत्याशी भगवान सिंह कुशवाहा उनको मात देने में सफल होते हैं. इस बार एक नया और रोचक मुकाबला जगदीशपुर विधानसभा में देखने को मिलेगा.
कब-कौन जीते
साल प्रत्याशी एवं पार्टी
1952 सुमित्रा देवी (कांग्रेस)
1957 सुमित्रा देवी (कांग्रेस)
1962 सूकर राम (प्रसोपा)
1967 शिवपूजन राय (कांग्रेस)
1969 सत्यनारायण सिंह (निर्दलीय)
1972 शिवपूजन वर्मा (कांग्रेस)
1977 सत्यनारायण सिंह (निर्दलीय)
1980 वीर बहादुर सिंह (निर्दलीय)
1985 हरिनारायण सिंह (लोक दल)
1990 श्रीभगवान सिंह (आईपीएफ)
1995 हरिनारायण सिंह (जनता दल)
2000- श्रीभगवान सिंह (समता पार्टी)
2005 (फरवरी) श्रीभगवान सिंह (जदयू)
2005 (अक्टूबर) श्रीभगवान सिंह (जदयू)
2010 दिनेश कुमार सिंह (राजद)
2015 रामविशुन सिंह (राजद)
2020 रामविशुन सिंह (राजद)
जीत-हार का अंतर
प्रत्याशी प्राप्त मत
2010
दिनेश कुमार सिंह, राजद 55560
श्रीभगवान सिंह, जंदयू 45374
अंतर 10186
2015
प्रत्याशी प्राप्त मत
रामविशुन सिंह लोहिया, राजद 49020
राकेश रौशन, रालोसपा 38825
अंतर 10195
2020
प्रत्याशी प्राप्त मत
रामविशुन सिंह लोहिया, राजद 66632
श्रीभगवान सिंह, लोजपा 44525
अंतर 22107