बिहार में पहले फेज में 121 सीटों पर वोटिंग, जानें पिछले चुनावों में किस दल का रहा दबदबा, कौन बेदम

बिहार चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों में 2020 में आरजेडी 42 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. बीजेपी ने 32 सीटें जीती थीं जबकि जेडीयू के खाते में 23 सीटें ही आई थीं.

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  • इन 121 सीटों में 2010 में 15 सीटें जीतने वाली आरजेडी ने 2015 और 2020 में मजबूत पकड़ बना ली
  • बीजेपी की स्थिति इन सीटों पर उतार चढ़ाव से भरी रही है. 2020 में उसे यहां 32 सीटें मिली थीं
  • JDU का रुतबा यहां 2010 से घटा है. 2010 में 59 सीटें जीतने वाली पार्टी 2020 में 23 सीटों पर सिमट गई
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बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मंगलवार को प्रचार अभियान थमने के बाद, सबके मन में यही सवाल है कि मतदान के दौरान किसका सिक्का चलेगा और कौन बैकसीट पर नजर आएगा. ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि जिन 121 सीटों पर फर्स्ट फेज में वोटिंग होनी है, उनमें पिछले चुनाव में किसका जोर रहा था. पिछले तीन चुनावों में इन विधानसभा क्षेत्रों में किसके खाते में कितनी सीटें आई थीं. 

इन सीटों पर 2020 में RJD को ज्यादा सीटें

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों की पिछले चुनाव से तुलना करने से पता चलता है कि इन सीटों पर 2020 में आरजेडी 42 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. बीजेपी ने 32 सीटें जीती थीं जबकि जेडीयू के खाते में 23 सीटें ही आई थीं. कांग्रेस ने 8 और लेफ्ट दलों ने 11 सीटें जीती थीं. 2020 के आंकड़े दिखाते हैं कि पहले चरण की इन आधी से ज्यादा सीटों (कुल 74) पर आरजेडी और बीजेपी का सीधा वर्चस्व रहा था.

पिछले तीन चुनावों में RJD का कैसा रहा प्रदर्शन

इन 121 सीटों की पिछले तीन चुनावों में स्थिति देखने से पता चलता है कि आरजेडी 2010 में जहां इनमें से केवल 15 सीटें जीत पाई थी, लेकिन 2015 और 2020 के दोनों चुनावों में उसने इन पर मजबूत पकड़ बना ली. यहां पर 2015 में आरजेडी के खाते में 46 और 2020 में 42 सीटें आई थीं. 

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बीजेपी की उतार-चढ़ाव की राजनीति

बीजेपी की स्थिति देखें तो इन 121 सीटों में 2010 में जहां उसे 46 सीटों पर जीत का परचम फहराया था, वहीं 2015 में उसकी जीती सीटों की संख्या आधी से भी कम होकर 20 रह गई थी. लेकिन इसके बाद के विधानसभा चुनाव में उसने फिर से जोर पकड़ा और 2020 में 32 सीटों पर विजयी परचम फहराया. 

जेडीयू का लगातार घट रहा रुतबा

नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के रुतबे में यहां पर 2010 से लगातार गिरावट देखी गई है. 2010 में जहां जेडीयू ने सबसे ज्यादा 59 सीटें जीती थीं, वहीं 2015 में ये घटकर 46 रह गईं. 2020 के चुनाव में तो उसे यहां तगड़ा झटका लगा और वह महज 23 सीटें ही जीत पाई. अब देखना होगा कि इस चुनव में नीतीश कुमार इन 121 सीटों में से कितनी अपनी झोली में डाल पाते हैं. 

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कांग्रेस पार्टी की स्थिति जस की तस

कांग्रेस की बात करें तो 2020 में वह इन 121 सीटों में से 8 सीटें ही जीत पाई थी. 2015 में भी उसका यही आंकड़ा रहा था. लेकिन इससे पहले के 2010 के चुनाव में उसका यहां पर सूपड़ा साफ हो गया था. इस लिहाज से देखें तो इन क्षेत्रों में कांग्रेस ने 2015 और 2020 में थोड़ा दमखम दिखाया, लेकिन इस बार क्या स्थिति होगी, ये देखने की बात है. 

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