बेगूसराय विधानसभा सीट: कभी 'मिनी मॉस्को' नाम से मशहूर था, अब BJP का किला, क्या विपक्ष लगा पाएगा सेंध?

बिहार की बेगूसराय विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला हमेशा रोचक और करीबी रहा है, लेकिन यह सीट 2010 से बीजेपी का गढ़ बनी हुई है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

बिहार की बेगूसराय विधानसभा सीट (Begusarai Assembly Seat) सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. यह सीट जिले का सबसे बड़ा शहरी और अर्ध-शहरी केंद्र है, जो इसे राजनीतिक रूप से सबसे संवेदनशील सीटों में से एक बनाती है. यह वही मिनी मॉस्को वाला इलाका है, जो कभी वामपंथी आंदोलन का गढ़ हुआ करता था. बेगूसराय जिला मुख्यालय है और बेगूसराय विधानसभा सीट इसी नाम से लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. बेगूसराय बिहार के प्रमुख औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्रों में से एक है. यह शहर वामपंथी राजनीति के इतिहास और बड़े जनांदोलनों के लिए जाना जाता है.

इस बार क्या खास मुद्दे हैं?

  • बेगूसराय शहर में ट्रैफिक जाम, बेहतर ड्रेनेज सिस्टम और कचरा प्रबंधन बड़ी समस्याएं हैं.
  • बरौनी औद्योगिक क्षेत्र के निकट होने के बावजूद स्थानीय युवाओं को रोज़गार के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते हैं, जिससे पलायन होता है.
  • शहरी क्षेत्र होने के कारण संपत्ति संबंधी अपराधों और बेहतर पुलिसिंग की मांगें प्रमुख रहती हैं.
  • स्थानीय राजनीति में वामपंथी (CPI) दलों का प्रभाव आज भी सूक्ष्म रूप से मौजूद है जो चुनावी परिणामों को प्रभावित करता है.

वोटों का गणित 

चुनाव आयोग द्वारा 30 सितंबर 2025 को जारी अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3.10 लाख है. इस संख्या में लगभग 1.65 लाख पुरुष और 1.45 लाख महिला वोटर हैं. 2020 के मुकाबले मतदाताओं की संख्या में करीब 10 हजार की वृद्धि हुई है. यह जिले की सबसे बड़ी वोटर संख्या वाली सीटों में से एक है. अनुमानित औसत मतदान प्रतिशत 52% से 55% के बीच रहता है.

जातीय समीकरणों की बात करें तो अग्रणी जातियां (सवर्ण), विशेषकर भूमिहार और वैश्य मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. ये जातियां बीजेपी के लिए मजबूत आधार बनाती हैं. इनके अलावा यादव, मुस्लिम और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) भी यहां पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

पिछली हार-जीत का हिसाब 

बेगूसराय सीट पर हाल के वर्षों में मुकाबला मुख्य रूप से बीजेपी और कांग्रेस/आरजेडी के बीच रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में BJP के कुंदन कुमार ने कांग्रेस के अमिता भूषण को 4,500 से अधिक वोटों के अंतर से हराकर सीट कायम रखी थी. 

इससे पहले 2015 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के अमरेंद्र कुमार अमर ने कांग्रेस के अमिता भूषण को 4,000 से अधिक वोटों से हराया था. यह सीट 2010 से लगातार बीजेपी के पास रही है. 

हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के प्रत्याशी ने विपक्षी महागठबंधन (सीपीआई) के उम्मीदवार पर लगभग 28,000 वोटों की बड़ी बढ़त हासिल की थी. 

Advertisement

इस बार क्या माहौल है?

बेगूसराय सीट पर चुनावी मुकाबला हमेशा रोचक और करीबी रहा है, लेकिन यह सीट 2010 से बीजेपी का गढ़ बनी हुई है. 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अपने मजबूत जातीय आधार और शहरी विकास के मुद्दों पर भरोसा है. महागठबंधन के लिए यह सीट एक बड़ी चुनौती है. जीत का मुंह देखने के लिए उन्हें शहरी मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने और वामपंथी वोट बैंक को पूरी तरह से अपने पाले में लाने की जरूरत होगी. प्रशांत किशोर की जनसुराज यहां के शिक्षित और युवा मतदाताओं के बीच कुछ प्रभाव डाल सकती है, लेकिन उसका असर कितना होगा, यह देखना बाकी है.

Featured Video Of The Day
PM Modi क्यों बना रहे हैं भारत को सुरक्षा महाशक्ति? | Syed Suhail | Bharat Ki Baat Batata Hoon