बिहार की राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधिक्षक ने शनिवार को खुद को पद मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का पत्र लिखा है. वह पद पर ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होने के चलते नहीं रहना चाहते हैं. उनका कहना है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी मरीज की मौत होती है तो इसका आरोप उनके ऊपर आएगा लिहाजा वह पद पर नहीं रहना चाहते हैं. उनके पत्र की एक कॉपी बिहार में विपक्ष के नेता और आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव ने साझा की है. उन्होंने पत्र के साथ नीतीश सरकार निशाना साधते हुए राज्य में कोविड के खिलाफ इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी पर चिंता जताई है.
प्रधान सचिव को लिखे अपने पत्र में डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने बताया कि कई बार आग्रह करने के बावजूद उन्हें ऑक्सीजन के सिलिंडर नहीं दिए जा रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कई मरीजों की मौत हो सकती है. जिसका आरोप अस्पताल प्रशासन पर आएगा. सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि जब वह अस्पताल में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत से मेहनत कर रहे हैं तो ऐसे समय में वह किसी की मौत की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेना चाहते हैं. इस विषय को लेकर तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर जोरदार प्रहार किया है.
नीतीश के खिलाफ हमलावर, तेजस्वी यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि यह है नीतीश कुमार का छद्म विकास, NMCH अस्पताल, पटना के अधीक्षक ने ऑक्सीजन कमी को लेकर अपने कार्य प्रभार से मुक्त करने का अनुरोध किया है. उन्होंने आगे लिखा कि आप बस स्थिति की कल्पना कीजिए. 16 वर्षों के मुख्यमंत्री से सवाल-जवाब करना मना है. वो 16 क्या? 1600 वर्ष CM रहेंगे तब भी अपनी गलती नहीं मानेंगे.
यह घटना बिहार सरकार द्वारा दो अस्पतालों को पूरी तरह से कोविड अस्पताल घोषित किए जाने के एक बाद सामने आई है. बताते चलें कि बिहार सरकार ने पटना स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज और गया के अनुग्रह नारायण अस्पताल को पूरी तरह के कोविड अस्पताल घोषित कर दिया है. गुरुवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने इसकी घोषणा की थी.