- बिहार में कांग्रेस ने सूची जारी किए बिना ही करीब 20 सीटों पर उम्मीदवारों को पार्टी सिंबल दे दिया है
- ज्यादा विरोध बिक्रम सीट को लेकर है, जहां से कांग्रेस ने बीजेपी से विधायक रहे अनिल कुमार को टिकट दिया है
- इसके अलावा नरकटियागंज से राजन तिवारी और रक्सौल से साबिर अली को भी टिकट दिए जाने का चर्चा है
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की सूची जारी किए बिना ही करीब 20 सीटों पर उम्मीदवारों को पार्टी सिंबल दे दिया है. कई सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर कांग्रेस में मतभेद इस कदर हावी हैं कि दिल्ली में प्रदर्शन से लेकर पटना में मारपीट तक हो गई. विरोध की वजह ये है कि आख़िरी वक्त में कांग्रेस ने बाहरी नेताओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं.
बिक्रम सीट को लेकर ज्यादा विरोध
सबसे ज्यादा विरोध पटना की बिक्रम सीट को लेकर हो रहा है, जहां से कांग्रेस ने बीजेपी से विधायक रह चुके अनिल कुमार को टिकट दिया है. बीते दो बार से इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है, लेकिन मौजूदा विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के उम्मीदवार बन चुके हैं.
पिछले चुनाव में अनिल कुमार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दूसरे स्थान पर रहे थे. इससे पहले वह दो बार बीजेपी और एक बार एलजेपी से चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने की वजह क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ को बताया, लेकिन इस बात से पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता नाराज हैं. टिकट बेचे जाने तक के आरोप लगा रहे हैं.
राजन तिवारी को टिकट की चर्चा
इसके अलावा दो और ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस बीजेपी से आए नेताओं को टिकट देने पर कथित तौर पर विचार कर रही है. बताया जा रहा है कि पश्चिम चंपारण की नरकटियागंज सीट से कांग्रेस पार्टी में बाहुबली नेता राजन तिवारी को टिकट देने की चर्चा है.
राजन तिवारी बीजेपी नेता रहे हैं. इनके भाई राजू तिवारी एलजेपी (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष हैं और चिराग पासवान ने उन्हें गोविंदगंज सीट से उम्मीदवार बनाया है. सूत्रों के मुताबिक, राजन तिवारी को टिकट देने की पैरवी पप्पू यादव कर रहे हैं.
रक्सौल से साबिर अली पर विचार
इसी तरह, कांग्रेस की आंतरिक समिति में पूर्वी चंपारण जिले की रक्सौल सीट से साबिर अली को मैदान में उतारने को लेकर भी चर्चा हुई है. साबिर फिलहाल बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा में राष्ट्रीय महासचिव हैं.
पार्टी नेताओं की नाराजगी की वजह
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने बीते कुछ महीनों में कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया था कि टिकट उन्हीं को मिलेगा, जो पार्टी की चुनावी रणनीति और प्रचार प्रसार के लिए मेहनत करेंगे. कहा गया कि इंडिया गठबंधन की प्रस्तावित “माई बहिन योजना” का बड़े पैमाने पर रजिस्ट्रेशन टिकट मिलने का पैमाना होगा.
इस बात के लिए तारीफ भी हो रही
अब जब चुनाव के आख़िरी दौर में कांग्रेस ने बाहरी लोगों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं तो टिकट के वो दावेदार विरोध कर रहे हैं, जिन्होंने बीते समय में पार्टी के कार्यक्रमों में मेहनत की है. हालांकि कई लोग बिहार कांग्रेस प्रभारी की इस बात के लिए तारीफ कर रहे हैं कि टिकट बंटवारे के दौरान वह आरजेडी के दबाव में नहीं आए, लेकिन खुद कांग्रेस के कई नेता उनके रवैये से नाराज बताए जा रहे हैं.