बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर राजद और कांग्रेस के बीच दिल्ली में अहम बैठक हुई. इस बैठक में राजद नेता तेजस्वी यादव कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी सहित कई दिगग्जों ने हिस्सा लिया. बैठक में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई. पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार महागठबंधन में घटक दलों की संख्या अधिक है. पिछले चुनाव में वामदल, कांग्रेस और राजद इस गठबंधन में थे वहीं इस चुनाव में अब तक के समीकरणों के अनुसार मुकेश सहनी और पशुपति नाथ पारस की पार्टी भी इस गठबंधन का हिस्सा हो सकती है. ऐसे में सीटों के बंटवारे को लेकर माथापच्ची की संभावना है. हालांकि जानकारी के अनुसार कांग्रेस इस चुनाव में जीतने वाली सीटें राजद से चाहती है. कांग्रेस इस चुनाव में लालू के गेम 30 को बदलना चाहती है.
लालू का 'गेम 30' गेम क्या था
कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना रहा है कि राजद के साथ गठबंधन में कांग्रेस को ऐसी 30 सीटें दी जाती रही है जहां उसे सहयोगी दलों से कोई लाभ नहीं मिलता है और ये सीटें परंपरागत तौर पर एनडीए की सीटें रही हैं. कांग्रेस चाहती है कि बिहार में उसे ऐसी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मिले जहां जीत की संभावना अधिक हो. जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी तेजस्वी यादव के सामने जीतने वाली सीटों की मांग रख सकते हैं.
लालू के बिना तेजस्वी पहली बार करेंगे कांग्रेस से डील
कांग्रेस राजद के गठबंधन में यह पहली दफा हो रहा है जब सीट के शेयरिंग के लिए तेजस्वी यादव कांग्रेस के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे हैं वहीं राजद की तरफ से तेजस्वी यादव बैठक में होंगे.
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का कैसा था प्रदर्शन
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को गठबंधन के तहत 70 सीटें मिली थी. जिनमें से 30 ऐसी सीटें थी जहां कांग्रेस की अच्छी पकड़ नहीं मानी जाती है. कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2015 के चुनाव में कांग्रेस को गठबंधन से 41 सीटें मिली थी जिनमें कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस इस चुनाव में चाहती है कि उसे अधिक से अधिक जीतने वाली सीटे मिले.
3 दशक पुराना है राजद और कांग्रेस का गठबंधन
राजद के गठन के बाद से ही राजद को विधानसभा के अंदर कांग्रेस का साथ मिलता रहा है. राबड़ी देवी की सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस के विधायकों ने राजद को समर्थन दिया था लेकिन लोकसभा चुनाव में गठबंधन के बाद भी विधानसभा चुनाव में दोनो दल कई बार अलग-अलग चुनाव लड़ते रहे हैं.
बिहार की राजनीति में पिछले 3 दशकों में लालू यादव की पकड़ मजबूत बनने के बाद राजनीतिक तौर पर सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस होता रहा है. कांग्रेस के आधार वोट धीरे-धीरे बीजेपी और राजद की तरफ शिफ्ट हो गए. हालांकि पार्टी की तरफ से कई बार लालू यादव की छाया से बाहर निकलने के प्रयास होते रहे हैं. लेकिन प्रयास या तो अधूरे रह गए हैं या केंद्र की राजनीति की मजबूरी में कांग्रेस को हथियार डालना पड़ा है.
ये भी पढ़ें-: राहुल-तेजस्वी में सीटों पर बनेगी बात? जानें बिहार में कांग्रेस-RJD की 'दोस्ती-दुश्मनी' की पूरी कहानी