बिहार चुनाव के लिए पार्टियों ने कसी कमर, मुस्लिम वोटों के लिए RJD और BJP में किसका फॉर्मूला ज्यादा कारगर?

बिहार में 87 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है. सीएसडीस के मुताबिक एनडीए को 2020 के विधानसभा चुनाव में 5 फीसदी वोट मिले थे और एलजेपी को 2 फीसदी. तब चिराग पासवान अलग से लड़े थे. दोनों को जोड दें तो ये 7 फीसदी हो जाते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के लिए ये मुस्लिम वोट बढ़कर 12 फीसदी हो गए.

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बिहार में इस साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं.

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  • तेजस्वी यादव वक्फ कानून के खिलाफ बोलकर मुसलमानों का समर्थन जुटाना चाहते हैं
  • बीजेपी पसमांदा मुसलमानों की बेहतरी पर ध्यान केंद्रित कर रही है
  • पसमांदा मुसलमान बिहार के कुल मुस्लिम आबादी का 80 फीसदी हैं
  • बिहार की 87 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है
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पटना:

बिहार में वक्फ कानून के खिलाफ आवाज उठाकर राजद नेता तेजस्वी यादव मुसलमानों का दिल जीतना चाहते हैं, वहीं बीजेपी पसमांदा मुसलमानों की बेहतरी की बात करके अपने वोट में विस्तार करना चाहती है. सवाल 17.7 फीसदी वोट को पाने, गंवाने या बांटने का है. इसीलिए बिहार में मुस्लिम वोट सुर्खियों के सेंटर में खड़ा है. बीजेपी को मुसलमानों में पसमांदा प्यारे हैं, जिनके लिए उसने पसमांदा मिलन सम्मेलन किया. जेडीयू नीतीश कुमार की अगुवाई में ये मानकर चलती है कि मुसलमानों के लिए उसने बहुत सारे कल्याणकारी काम किये हैं. कांग्रेस को लगता है कि राहुल गांधी के संविधान की रक्षा वाली बात में मुसलमानों की रक्षा छुपी है.

आरजेडी की नजर पूरे मुस्लिम वोटों पर ही है, जिसके लिए तेजस्वी वक्फ कानून को ही रद्द करने का वादा कर रहे हैं. तो फिर अबकी बार बिहार के चुनाव में मुस्लिम धुरी पर पार्टियां नाच रहे हैं चाहे आरजेडी हो या बीजेपी.

वोटरों में 14 फीसदी से ज्यादा पसमांदा मुसलमान

बीजेपी की नजर पसमांदा मुसलमानों पर काफी पहले से है, जिनकी संख्या बिहार के कुल मुस्लिम आबादी की 80 फीसदी है. यानी बिहार की कुल वोटरों में 14 फीसदी से ज्यादा तो पसमांदा मुसलमान ही हैं. उनको रिझाने के लिए ही बीजेपी ने पिछली ईद पर सौगात-ए-मोदी बांटी थी. और अब बीजेपी के दफ्तर में प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की मौजूदगी में पसमांदा मुसलमानों का सम्मेलन हुआ.

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दरअसल बिहार में 87 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी बीस फीसदी से ज्यादा है. सीएसडीस के मुताबिक एनडीए को 2020 के विधानसभा चुनावों में 5 फीसदी वोट मिले थे और एलजेपी को 2 फीसदी. तब चिराग पासवान अलग से लड़े थे. लेकिन दोनों को जोड दें तो ये 7 फीसदी हो जाते हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के लिए ये मुस्लिम वोट बढ़कर 12 फीसदी हो गए. बीजेपी को लगता है कि मुस्लिम वोटों का ये विस्तार पसमांदा मुसलमानों के झुकाव के कारण हुआ है. इसीलिए वो फायदे का सौदा देख रही है.

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दूसरी तरफ तेजस्वी को लगता है कि 2024 से 25 आते आते बहुत फर्क आ चुका है और ये फर्क वक्फ कानून लेकर आया है. बीजेपी बहुत आक्रामक अंदाज में तेजस्वी पर हमला करते हुए उन्हें नमाजवादी से लेकर मौलाना तेजस्वी तक बता रही है. लेकिन तेजस्वी को लगता है कि ऐसे हमले मुस्लिम वोटों की गारंटी बन सकते हैं.

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