बिहार चुनाव: 8 बार कांग्रेस, 7 बार से JDU-RJD... सीतामढ़ी के सुरसंड सीट का समझें सियासी समीकरण

Sursand Assembly Seat: सुरसंड विधानसभा ग्रामीण और कृषि-प्रधान क्षेत्र है, जो अपनी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों और विविध जनसंख्या के लिए जाना जाता है. इस विधानसभा में सड़कों, बिजली और स्वच्छ पानी की आपूर्ति में कमी प्रमुख समस्या है.

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  • सुरसंड विधानसभा एक कृषि-प्रधान और ग्रामीण क्षेत्र है, जहां सड़कों, बिजली और पानी की आपूर्ति में कमी है.
  • यह विधानसभा क्षेत्र 1951 में बना और कुल 17 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें कांग्रेस, RJD और JDU का दबदबा रहा.
  • 2020 के चुनाव में जदयू के दिलीप कुमार राय ने जीत हासिल की थी, जबकि 2015 में राजद को सफलता मिली थी.
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सीतामढ़ी:

Bihar Assemby Elections 2025: बिहार में आने वाले कुछ दिनों में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है. चुनाव की घोषणा से पहले सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं. मौजूदा विधायक भी जनसंपर्क बढ़ाने में जुटे हैं. इस बीच किस सीट पर क्या समीकरण है, इसे समझना जरूरी हो गया है. आज बात सीतामढ़ी जिले में स्थित सुरसंड विधानसभा क्षेत्र की. जो सालों तक कांग्रेस की गढ़ रही. लेकिन अब यहां जदयू-राजद की सीधी टक्कर हो रही है. 1951 में यह विधानसभा सीट अस्तित्व में आई और तब से लेकर अबतक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं.

8 बार कांग्रेस फिर 7 बार जदयू और राजद

सुरसंड विधानसभा सीट पर शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा. कांग्रेस ने इस सीट पर आठ बार जीत हासिल की. लेकिन बाद में यहां जनता दल और फिर JDU, RJD जैसी पार्टियों का दबदबा बढ़ा. इस दलों ने 7 बार सुरसंड का समीकरण अफने नाम किया. फिलहाल इस सीट पर जनता दल यूनाइटेड (JDU) का कब्जा है. 2020 के चुनाव में JDU के दिलीप कुमार राय ने जीत दर्ज की थी.

सुरसंड का चुनावी इतिहास

इस सीट पर जदयू का दबदबा रहा है, इस सीट पर बीते तीन विधानसभा चुनाव में जदयू के उम्मीदवार ने दो बार जीत हासिल की है. 2020 में इस सीट पर नीतीश कुमार की पार्टी ने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और इस सीट से राजद के उम्मीदवार को जीत नसीब हुई.

2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने राजद के उम्मीदवार को हराया. हार और जीत का अंतर बहुत कम वोटों का रहा था. इस सीट पर जदयू का दबदबा शुरू से ही रहा है. पूर्व में हुए यह तीन चुनाव इस बात का सटीक उदाहरण हैं. आगामी विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक हैं. ऐसे में यह सीट एक बार फिर चर्चा में है.

जदयू जहां इस सीट पर जीत की लय बरकरार रखना चाहेगी. वहीं राजद इस सीट को जीतने में एक अच्छे उम्मीदवार को उतार सकती है जो जनता के नब्ज को समझ सके.

सुरसंड ग्रामीण और कृषि प्रधान क्षेत्र

सुरसंड विधानसभा ग्रामीण और कृषि-प्रधान क्षेत्र है, जो अपनी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों और विविध जनसंख्या के लिए जाना जाता है. इस विधानसभा में सड़कों, बिजली और स्वच्छ पानी की आपूर्ति में कमी प्रमुख समस्या है. ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी और परिवहन सुविधाएं अपर्याप्त हैं. इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिसके कारण पलायन एक बड़ी समस्या है.

सुरसंड के चुनावी मुद्दे

बेरोजगारी के कारण कई लोग दिल्ली, मुंबई और अन्य बड़े शहरों में काम करने जाते हैं और वहां से अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. सुरसंड बाढ़-प्रवण क्षेत्र में आता है और अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं. सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. यहां के किसान धान, गेहूं, मक्का, गन्ना और दालों की खेती करते हैं. कुछ लोग सब्जी और फल उत्पादन में भी लगे हैं.

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सुरसंड की कुल आबादी 5.70 लाख

सुरसंड विधानसभा की कुल आबादी 570103 है. पुरुषों की संख्या 296617 है. महिलाओं की संख्या 273486 है. चुनाव आयोग के 1 जनवरी 2024 के डाटा के अनुसार, इस विधानसभा में कुल मतदाता 327651 हैं, जिसमें पुरुष मतदाता 172956, महिला मतदाता 154685 और 10 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.

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