बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दो चरण में मतदान होना है. वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी. बिहार के सुपौल जिले में स्थित निर्मली विधानसभा क्षेत्र पिछले 15 साल से जदयू का मजबूत गढ़ रहा है. 2010 में हुए विधानसभा चुनाव से यह सीट जदयू के पास रही है. इस बार अपने राजनीतिक महत्व और स्थानीय मुद्दों के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र पर सभी राजनीतिक दलों की नजरें टिकी हैं. जदयू ने यहां से मौजूदा विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव को फिर से टिकट दिया है. पहली बार बिहार चुनाव में ताल ठोंक रही प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने निर्मली से वर्तमान प्रखंड प्रमुख रामप्रवेश कुमार यादव को टिकट दिया है. रामप्रवेश ने अपना नामांकन दाखिल भी कर दिया है.
2010 से निर्मली में लगातार जदयू को मिली जीत
परिसीमन के बाद 2010 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुए और जदयू के अनिरुद्ध प्रसाद यादव ने बाजी मारी. उनकी जीत का सिलसिला 2015 और 2020 में भी बरकार रहा. अब तक हुए तीनों विधानसभा चुनाव में जदयू ने यहां से जीत का परचम लहराया.
जदयू को विधानसभा चुनाव में मिली जीत का फायदा लोकसभा चुनाव 2024 में भी मिला. जदयू के दिलेश्वर कामैत को निर्मली विधानसभा पर शानदार बढ़त मिली, जिसने उनकी जीत का रास्ता पक्का किया.
नेपाल बॉर्डर से पास स्थित है निर्मली
सुपौल लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली निर्मली विधानसभा क्षेत्र राघोपुर और सरायगढ़ भपटियाही प्रखंडों से घिरा हुआ है और नेपाल सीमा के करीब होने के कारण सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. नेपाल का प्रमुख शहर विराटनगर यहां से महज 70 किलोमीटर उत्तर में स्थित है.
बाढ़ यहां की सबसे बड़ी समस्या
हालांकि, यहां की सबसे बड़ी समस्या बार-बार आने वाली बाढ़ है, जिससे यह इलाका बुरी तरह प्रभावित होता है. 1934 के भूकंप और 2008 के तटबंध टूटने की घटनाओं ने इस क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया. बाढ़ और जमीन विवाद आज भी यहां की प्रमुख समस्याओं में से एक हैं.
इसके अलावा, निर्मली में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. साथ ही सड़कों की स्थिति खराब है और स्वास्थ्य संस्थानों में संसाधनों और कर्मचारियों की कमी साफ दिखाई देती है. कृषि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का आधार है, जहां धान,गेहूं, मक्का और पटुवा प्रमुख फसलें हैं.
यादव समुदाय का वोट बैंक निर्मली में महत्वपूर्ण
चुनाव आयोग के अनुसार, निर्मली विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,96,989 रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें 17.30 प्रतिशत मुस्लिम और 13.88 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता शामिल थे. इसके अलावा, यादव समुदाय यहां सबसे अहम भूमिका निभाता है. 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 63.20 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था.
(सुपौल से अभिषेक मिश्रा की रिपोर्ट)