बिहार चुनाव में 8 का फेर, जानें क्या है छठ पर घर जाने वालों का 'वोट संकट'

बिहार में चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही राज्य के बाहर नौकरीपेशा बिहारवासियों के सामने बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि वो चुनाव में कैसे शामिल हों. दरअसल बिहार के महापर्व छठ और चुनाव तारीखों के बीच 8 से अधिक दिनों का अंतर है.

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  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों ने राज्य से बाहर नौकरीपेशा बिहार वासियों को असमंजस में डाल दिया है.
  • प्रदेश के बाहर रह रहे लोग महापर्व छठ में शामिल होने के साथ ही वोट देने की आस लगाए बैठे थे.
  • चुनाव आयोग ने मतदान की जो तारीखें तय की हैं वो छठ के 8 दिन बाद है, यही उनकी उलझनों की सबसे बड़ी वजह बन गई है.
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पटना:

चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का एलान कर दिया है. मतदान दो चरणों में छह और 11 नवंबर को कराए जाएंगे. जबकि नतीजा 14 नवंबर को आएगा. जहां एक ओर चुनाव आयोग के इस एलान के साथ ही राज्य में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई हैं वहीं बिहार के बाहर नौकरीशुदा लाखों लोगों की पेशानी पर बल भी पड़ने लगा है. दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों के एलान के साथ ही राज्य से बाहर नौकरी कर रहे उन बिहारवासियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं जो महापर्व छठ और वोट साथ देने की आस लगाए बैठे थे. 

बीते हफ्ते मुख्य चुनाव आयुक्त समेत राज्य का दौरा करने पहुंची चुनाव आयोग की टीम से राज्य की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने दो चरणों में चुनाव का आयोजन करने की मांग के साथ इसे छठ के तुरंत बात आयोजित कराने की मांग की थी. पर चुनाव आयोग ने चुनाव तो दो चरणों में कराए जाने का एलान कर दिया पर इसकी तारीखें छठ के समाप्त होने के आठ दिनों के बाद का रखा है. ऐसे में बिहार के बाहर नौकरी कर रहे लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं कि वो बिहार चुनाव में मतदान कैसे करें.

कब है छठ और क्यों वोट नहीं दे सकेंगे?

छठ महापर्व इस साल 25 से 28 अक्टूबर के बीच मनाया जाएगा. छठ के लिए बिहार में लाखों प्रवासी पहुंचते हैं. ऐसे में उस समय चुनाव होने से मतदान अधिक होने की उम्मीद थी. पर अब छठ और मतदान में जो आठ से अधिक दिनों का अंतर है उसे देखते हुए इसका असर मतदान पर पड़ने की है क्योंकि छठ पर्व में शामिल होने वाले अधिकांश बिहारवासी अपने-अपने घर जाने की योजना कुछ महीने पहले ही बना लेते हैं और उसी के अनुसार ट्रेन और हवाई यात्रा का रिजर्वेशन लेते हैं. साथ ही छठ के दिनों के आसपास के ट्रेन रिजर्वेशन मिलने बहुत मुश्किल हो जाते हैं. साथ ही अधिक दिनों के अंतर की वजह से दफ्तरों से छुट्टियों के मिलने की आसार भी बहुत कम हो जाते हैं.

छठ का बिहार में गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है
Photo Credit: ANI

छठ और चुनाव आसपास नहीं करवाने पर क्या बोले मुख्य चुनाव आयुक्त?

छठ और मतदान की तारीखों के बीच आठ से अधिक दिनों के अंतर पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि उनकी टीम को यह जानकारी है कि छठ महापर्व 28 अक्टूबर को संपन्न हो रहा है. हालांकि उन्होंने साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों की मांग के बावजूद इसे छठ के तुरंत बाद नहीं कराया जा सकता था.

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, "छठ का त्योहार 28 को है. यह बात सही है कि चुनाव छठ के आसपास कराया जाए, राजनीतिक दलों ने इसकी मांग की थी. लेकिन हम कल ही बिहार से लौटे हैं. अगर आप चुनाव के शेड्यूल को देखेंगे तो पाएंगे कि इससे पहले चुनाव को नहीं करवाया जा सकता था."

बता दें कि बिहार में दिवाली के बाद मनाए जाने वाले छठ महापर्व का बहुत महत्व है और बिहार के बाहर रह रहे लाखों लोग साल भर इस पर्व का इंतजार करते हैं और इसमें शामिल होने की पूरी कोशिश करते हैं. यही कारण है कि शनिवार को निर्वाचन आयोग की टीम के साथ बिहार के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की बैठक में राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से कहा था कि राज्य में छठ पूजा के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव कराए जाएं, ताकि मतदाताओं की अधिक-से-अधिक भागीदारी सुनिश्चित हो.

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अब जबकि राज्य में पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है तो ऐसे में बिहार के बाहर नौकरी कर रहे लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं कि वो कैसे छठ के बाद चुनाव तक रुक कर अपने मतदान के अधिकार को पूरा करें.

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