बिहार विधानसभा चुनाव 2025- कुशेश्वर स्थान में एनडीए के सामने निर्दलीय प्रत्याशी, क्या एकतरफा होगा मुकाबला?

राजधानी पटना से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर कुशेश्वर स्थान में क्या इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी का नामांकन रद्द करने से अब एनडीए के सामने केवल निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हैं. क्या यहां एकतरफा होगा मुकाबला?

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  • शिवनगरी के नाम से मशहूर बिहार के दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान में इस बार केवल 10 प्रत्याशी मैदान में हैं.
  • 2020 में चिराग की पार्टी एनडीए में शामिल नहीं थी इसके बावजूद इस सीट पर जेडीयू प्रत्याशी शशिभूषण हजारी जीते थे.
  • इस बार तो इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी गणेश भारती का नामांकन रद्द होने से यहां चुनाव के एकतरफा होने के आसार हैं.
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शिवनगरी के नाम से मशहूर दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान से चुनाव मैदान में इस बार केवल 10 प्रत्याशी हैं. सीधा मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा था लेकिन तकनीकी कारणों से इंडिया गठबंधन की पार्टी वीआईपी के प्रत्याशी गणेश भारती का नामांकन रद्द कर दिया गया. बताया गया कि सिंबल पर पार्टी अध्यक्ष का हस्ताक्षर नहीं होने की वजह से उनका नामांकन चुनाव आयोग ने रद्द किया. हालांकि अब वो निर्दलीय मैदान में उतरे हैं. 

कुशेश्वर स्थान एक एससी सीट है. 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां जेडीयू के शशिभूषण हजारी ने 7,222 वोटों के अंतर से कांग्रेस के डॉ. अशोक कुमार को हराया था. हालांकि तब एलजेपी ने चुनाव में अपने प्रत्याशी भी उतारे थे और उनके प्रत्याशी धनंजय कुमार उर्फ मृणाल पासवान को लगभग 25 प्रतिशत वोट (30,212) हासिल हुए थे. 2025 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए के साथ गठबंधन में शामिल है लिहाजा जानकारों की नजर में यहां चुनाव कमोबेश एकतरफा होने के आसार हैं.

महागठबंध की तरफ से उतरे गणेश भारती का नामांकन रद्द हो गया, अब वे निर्दलीय मैदान में हैं

कुशेश्वर स्थान में राजनीतिक वर्चस्व किसका?

राजनीतिक दृष्टि से देखें तो पिछले डेढ़ दशक से हजारी परिवार का वर्चस्व यहां कायम है. 2010 में शशिभूषण हजारी बीजेपी से विधायक चुने गए. 2015 में जब जेडीयू-बीजेपी गठबंधन टूटा तो वे जेडीयू में शामिल हो गए और दोबारा जीत दर्ज की. 2020 में भी उनकी जीत हुई. 2021 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में जेडीयू ने उनके बेटे अमन भूषण हजारी को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने इस सीट को बचाए रखा. इस तरह यह क्षेत्र जेडीयू के लिए लगातार मजबूत किला साबित हुआ है.

2025 के समीकरण को देखें तो जेडीयू इस सीट पर लगातार जीत और संगठनात्मक मजबूती के आधार पर बढ़त बनाती दिखती है. अमन भूषण हजारी अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन विपक्ष भी इस बार पूरी तैयारी में है.

खेती पर निर्भरता, पलायन की मार

मुख्य रूप से खेती पर निर्भर यह क्षेत्र हर साल बाढ़ की मार झेलता है. यहां की आजीविका मुख्य रूप से किसानी पर निर्भर है. धान, मक्का, मसूर और सरसों यहां प्रमुख रूप से उगाई जाती हैं. साथ ही पशुपालन, डेयरी और मुर्गी पालन भी स्थानीय अर्थव्यवस्था के हिस्से हैं. उद्योग-धंधों की कमी और बार-बार आने वाली बाढ़ के कारण यहां की एक बड़ी आबादी दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए जाती है. रोजगार की कमी की वजह से पलायन इस विधानसभा सीट पर एक अहम मुद्दा भी है.

कुशेश्वर स्थान के अहम मुद्दे

जनता का रुख मुख्य रूप से बाढ़ नियंत्रण, सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं पर टिका हुआ है. खेती-किसानी और रोजगार की चुनौतियां भी प्रमुख मुद्दे हैं. युवा वर्ग रोजगार और बेहतर शिक्षा की मांग करता है, जबकि महिलाएं स्वास्थ्य व सुरक्षा पर ज्यादा जोर देती हैं.

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कुशेश्वर स्थान की चौहद्दी

कुशेश्वर स्थान, दरभंगा जिला मुख्यालय से दक्षिण-पूर्व में करीब 60 किलोमीटर तो राज्य की राजधानी पटना से पूर्वोत्तर में लगभग 145 किलोमीटर पर स्थित है. इसके आसपास बिरौल, हसनपुर, सिंगिया और सहरसा जैसे कस्बे हैं. यहां से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बिरौल और लहेरियासराय हैं.

भगवान राम के पुत्र कुश से जुड़ा है कुशेश्वर नाथ का नाम

कुशेश्वर नाथ मंदिर, विष्णु मंदिर, गिरिहिंडा पर्वत, हेन त्सांग मेमोरियल हॉल, हजरत बीबी कमाल का मकबरा जैसी जगहों के लिए मशहूर बिहार के दरभंगा जिले की कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट (अनुसूचित जाति आरक्षित) मिथिला की राजनीति और संस्कृति दोनों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है. 

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यह न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से प्रसिद्ध है, बल्कि पर्यावरणीय और भौगोलिक विशेषताओं के कारण भी चर्चित है. कुशेश्वरस्थान और कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के साथ-साथ बिरौल प्रखंड की आठ ग्राम पंचायतें इस विधानसभा क्षेत्र में शामिल हैं.

कुशेश्वरस्थान का नाम यहां स्थित बाबा कुशेश्वरनाथ मंदिर से जुड़ा है. मान्यता है कि इसकी स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश ने की थी. सावन और महाशिवरात्रि के समय हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां उमड़ते हैं. मंदिर परिसर में पवित्र चंद्रकूप है और यह मंदिर तीन नदियों के संगम पर स्थित है. धार्मिक आस्था के साथ-साथ यह क्षेत्र कुशेश्वरस्थान पक्षी अभयारण्य के लिए भी प्रसिद्ध है. 1994 में  करीब 29 वर्ग किलोमीटर में स्थापित किए गए इस अभ्यारण्य में सर्दियों के दौरान डल्मेशियन पेलिकन, साइबेरियन क्रेन और बार-हेडेड गूज जैसे दुर्लभ प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है.

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कुशेश्वर स्थान में कब है मतदान?

2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कुशेश्वरस्थान विधानसभा की अनुमानित जनसंख्या 4,42,437 है, जिसमें 2,30,195 पुरुष और 2,12,242 महिलाएं शामिल हैं. वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 2,62,119 है, जिनमें 1,37,297 पुरुष, 1,24,818 महिलाएं और 4 थर्ड जेंडर मतदाता हैं. महिलाओं की संख्या और भागीदारी यहां निर्णायक मानी जाती है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान कुशेश्वर स्थान निर्वाचन क्षेत्र में मतदान पहले चरण में 6 नवंबर 2025 को है.  जबकि नतीजे 14 नवंबर 2025 को घोषित किए जाएंगे.

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