बाबूबरही विधानसभा सीट: राजद, जदयू में सीधी टक्कर, नीतीश ने इस बार भी मीना को मैदान में उतारा

बाबूबरही विधानसभा सीट पर पिछले कई चुनावों से यहां राजद और जेडीयू के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलता रहा है. पिछली बार जदयू की ओर से मीना कामत को टिकट मिला था, जो पूर्व मंत्री और जदयू के दिवंगत नेता कपिलदेव कामत की बहू हैं.

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बाबूबरही विधानसभा से जदयू की मीणा कामत फिर से चुनावी मैदान में हैं.
मधुबनी:

Babubarhi Vidhan Sabha Seat Profile: बिहार के उत्तरी भाग में नेपाल की सीमा के निकट स्थित बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र मधुबनी जिले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. बाबूबरही व लदनिया सामुदायिक विकास खंड के साथ-साथ खजौली प्रखंड की 7 ग्राम पंचायतें भी इसमें शामिल हैं. इसके अलावा बाबूबरही प्रखंड में 20 और लदनिया में 15 ग्राम पंचायतें आती हैं. यह क्षेत्र अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां से जदयू की मीना कुमारी अभी विधायक हैं. जदयू ने फिर से मीना पर ही भरोसा जताया है. दूसरी तरफ राजद से अरुण सिंह कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं. देखना है इस बार बाबूबरही की जनता किस पर भरोसा जताती है.

बाबूबरही में राजा बलि की राजधानी बलिराजगढ़

बाबूबरही क्षेत्र में बलिराजगढ़ नामक पुरातात्विक स्थल स्थित है, जिसे पौराणिक असुर राजा बलि की राजधानी माना जाता है. इसके अलावा, यहां राजा पद्मसिंह की राजधानी धरहरवा डीह, लक्ष्मी नारायण मंदिर, सर्रा के मदनेश्वर स्थान मंदिर, खोजपुर के सोमनाथ महादेव मंदिर जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं.

पिपराघाट के त्रिवेणी संगम पर कार्तिक मास में एक माह का कल्पवास और पांच दिवसीय कार्तिक पूर्णिमा मेला आयोजित होता है. पिपराघाट में कमला, बलान और सोनी नदियों का संगम भी दर्शनीय है.

जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर है दूरी

बाबूबरही जिला मुख्यालय मधुबनी से लगभग 35 किलोमीटर और दरभंगा से करीब 45 किलोमीटर दूर है. निकटतम रेलवे स्टेशन खजौली है, जो लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित है. राज्य की राजधानी पटना यहां से दक्षिण-पश्चिम में लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर है.

क्षेत्र की अधिकांश आबादी ग्रामीण है और आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है. खेती यहां के लोगों की आर्थिक रीढ़ है और स्थानीय संस्कृति में कृषि की गहरी जड़ें हैं.

1977 में लदनिया निर्वाचन क्षेत्र के विघटन के बाद बाबूबरही को एक अलग विधानसभा क्षेत्र के रूप में गठित किया गया. तब से यह क्षेत्र 12 विधानसभा चुनावों में हिस्सा ले चुका है, जिसमें 2003 का एक उपचुनाव भी शामिल है.

समाजवादी नेता देव नारायण लगातार यहां से जीते

शुरुआती वर्षों में यहां समाजवादी विचारधारा का दबदबा रहा, जिसमें देव नारायण यादव प्रमुख रहे. उन्होंने इस सीट से कई बार जीत हासिल की और 1990, 1995 और 2000 में लगातार निर्वाचित हुए. देव नारायण यादव लंबे समय तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे.

2020 में जदयू की मीना कामत को मिली जीत

पिछले कई चुनावों से यहां राजद और जेडीयू के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलता रहा है. पिछली बार जदयू की ओर से मीना कामत को टिकट मिला था, जो पूर्व मंत्री और जदयू के दिवंगत नेता कपिलदेव कामत की बहू हैं. वहीं, आरजेडी ने उमाकांत यादव को मैदान में उतारा था, लेकिन मीना कामत ने जीत दर्ज की थी.

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