तेजप्रताप के उम्मीदवारों का अनोखा अंदाज, एक भैंस पर, दूसरा हथकड़ी में पहुंचा नामांकन करने, देखिए वीडियो

तेजप्रताप यादव की पार्टी के दो उम्मीदवारों ने नामांकन को पब्लिक शो बना दिया एक भैंस पर चढ़कर पहुंचा, दूसरा हथकड़ी में गाना गाते-रोते दिखा.

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  • तेजप्रताप यादव की पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार हथकड़ी में जेल से निकलकर नामांकन करने पहुंचे
  • धर्मेंद्र कुमार क्रांतिकारी ने कहा कि वे साजिश के शिकार हैं और जनता से इंसाफ लेंगे
  • अरवल विधानसभा के उम्मीदवार अरुण यादव भैंस पर सवार होकर नामांकन करने पहुंचे, हाथ में लालू यादव की तस्वीर थी
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पटना:

बिहार चुनाव में इस बार सिर्फ नेता ही नहीं, उनके एंट्री स्टाइल भी सुर्खियों में हैं! कोई भैंस पर चढ़कर नामांकन करने पहुंच रहा है, तो कोई हथकड़ी लगाकर जेल से सीधा चुनावी अखाड़े में उतर रहा है. जी हां, लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल के प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार “क्रांतिकारी”  शुक्रवार को बरौली विधानसभा से नामांकन करने के लिए हथकड़ी में पहुंचे! पुलिस की सुरक्षा में जेल से निकलकर क्रांतिकारी साहब समाहरणालय पहुंचे और फिर क्या, कैमरों की लाइन लग गई, पब्लिक की भीड़ उमड़ पड़ी, और नेताजी बोले. “मैं साजिश का शिकार हूं, पर अब जनता से इंसाफ लूंगा!” वहीं तेजप्रताप की पार्टी के एक अन्य उम्मीदवार भैंस पर बैठकर नॉमिनेशन के लिए पहुंचे. 

पहली तस्वीर आई गोपालगंज के बरौली से, जहां हथकड़ी में बंद धर्मेंद्र कुमार 'क्रांतिकारी' पुलिस की सुरक्षा में नामांकन करने पहुंचे. हथकड़ी हाथ में थी, आंखों में आंसू थे, और जुबान पर गाना था. लोगों की भीड़ जमा हो गई, कोई वीडियो बना रहा था, कोई लाइव चला रहा था.नेताजी बोले, “मैं साजिश का शिकार हूं, जनता मुझे बरी करेगी.” पुलिस ने नामांकन के बाद फिर से जेल भेज दिया, लेकिन इस बीच धर्मेंद्र 'क्रांतिकारी' सोशल मीडिया के हीरो बन गए.

दूसरी तरफ अरवल विधानसभा से एक और वायरल स्टार अरुण यादव की चर्चा हो रही है. इनका एंट्री स्टाइल देखकर लोग हैरान हैं. अरुण यादव जब भैंस पर सवार होकर जिला समाहरणालय पहुंचे, तो पूरा इलाका तमाशा बन गया. लोग मोबाइल लेकर दौड़ पड़े. इतना ही नहीं, उनके हाथ में लालू यादव की तस्वीर थी. उन्होंने कहा, “राजनीति में मेरा रोल मॉडल सिर्फ लालू जी हैं, इसलिए उनके आशीर्वाद के साथ नामांकन करने आया हूं.”

तेजप्रताप यादव ने भले ही राजद से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई हो, लेकिन उनके उम्मीदवारों की ड्रामा और देसी अंदाज़ अब बिहार की चर्चा बन चुके हैं. भैंस पर नामांकन और हथकड़ी में प्रचार  यही है बिहार की असली चुनावी थ्रिलर, जहां “पॉलिटिक्स” और “पब्लिसिटी” का मेल जबरदस्त है!

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