बिहार के नवादा जिले की हिसुआ विधानसभा सीट पर इस बार काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बीच कांटे की टक्कर है. दरअसल साल 2010 के चुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार ने भारी मतों से हराया था. 2010 और 2015 में बीजेपी के अनिल सिंह को जीत मिली थी. वहीं साल 2020 के चुनाव में फिर से कांग्रेस की वापसी हुई और नीतु सिंह विजयी रहीं. इस बार कांग्रेस के पास फिर से अपना गढ़ बचाने की चुनौती है. इस बार फिर कांग्रेस ने नीतु सिंह को मैदान में उतारा है. जबकि बीजेपी ने हिसुआ से अनिल सिंह को उम्मीदवार बनाया है.
हिसुआ के पूर्व विधायक अनिल सिंह घर का बेटा, घर का नेता का नारा के लिए चर्चित रहे हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव के समय से अनिल सिंह यह नारा देते रहे हैं. इसके चलते स्थानीय सांसदों के निशाने पर रहे हैं. चूकिं नवादा संसदीय क्षेत्र से ज्यादातर सांसद बाहरी निर्वाचित होते रहे हैं. साल 2009 में बेगूसराय के डाॅ भोला सिंह, 2014 में बरहिया के गिरिराज सिंह, 2019 में मोकामा के चंदन सिंह और 2024 में पटना के विवेक ठाकुर निर्वाचित हुए हैं.
हिसुआ सीट का इतिहास
हिसुआ सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है. 1957 से 2020 तक 16 चुनाव हुए हैं. सर्वाधिक नौ दफा कांग्रेस का कब्जा रहा है. तीन दफा निर्दलीय की जीत दर्ज हुई. 1977 में जनता पार्टी की जीत हुई थी. तीन बार बीजेपी की जीत हुई है. 2005 से 2015 तक हुए तीन बार चुनाव में बीजेपी से अनिल सिंह निर्वाचित हुए थे. 2020 के चुनाव में अनिल सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे. नीतू देवी कांग्रेस से निर्वाचित हुई. अनिल सिंह 17 हजार 91 मतों के अंतर से पराजित हुए थे.
बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर दो चरणों में चुनाव होंगे. पहले चरण में 121 सीटों के लिए 6 नवंबर को मतदान होगा. शेष 122 सीटों के लिए दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी.