बिहार में NDA सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर चल रही बात
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. एनडीए में सीटों के बंटवारे पर चर्चा चल रही है. सूत्रों के अनुसार शुरुआती दौर की बातचीत हुई है. पटना में बातचीत हो चुकी है अब जल्द ही दिल्ली में बातचीत का अगला दौर शुरू होगा. लोक सभा चुनाव के फॉर्मूले (NDA Seat Sharing Formul) के मुताबिक ही एनडीए के सहयोगी दलों में टिकटों का बंटवारा होने की उम्मीद है. बता दें कि लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16, एलजेपी ने 5 और हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा था.
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बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की सभी पांच पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ंगी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जेडीयू से एक सीट ज्यादा पर चुनाव लड़ा था. लेकिन विधानसभा में जेडीयू बीजेपी से एक-दो ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
NDA में ये हो सकता है सीटों का फॉर्मूला
सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू 243 में से 102-103 और बीजेपी 101-102 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. बाकी बची करीब 40 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को दी जाएंगी. इसमें बड़ा हिस्सा एलजेपी का होगा क्योंकि उसके पांच सांसद हैं. इस लिहाज से उसे करीब 25-28 सीटें मिल सकती हैं. जबकि हम को 6-7 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4-5 सीटें दी जा सकती हैं.
जमीनी हकीकत का रखा जा रहा ध्यान
- सूत्रों के हवाले से खबर है कि सहयोगी दलों में इस बात पर सहमति बन गई है कि टिकट बंटवारे में जमीनी हकीकत का ध्यान रखा जाएगा.
- उम्मीदवार तय करते समय दूसरे सहयोगी दलों के उम्मीदवारों की जातीय पृष्ठभूमि का भी ध्यान रखा जाएगा.
- जातीय समीकरणों को साधते हुए टिकट दिए जाएंगे.
- टिकट बंटवारे के समय यह ध्यान रखा जाएगा कि अगर एक जिले में अलग-अलग सहयोगी दलों को टिकट मिलता है तो ऐसा न हो कि एक ही जाति के कई उम्मीदवार एनडीए से उतार दिए जाएं.
- बल्कि कोशिश यह रहेगी कि अलग-अलग जाति के उम्मीदवार हों ताकि सबके वोट मिल सकें.
नीतीश ही होंगे NDA का चेहरा?
बीजेपी सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि बिहार में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा रहेंगे. पीएम मोदी और नीतीश कुमार के नाम और काम पर चुनाव लड़ा जाएगा. वहीं नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर चल रही खबरों पर बीजेपी का कहना है कि इसे मुद्दा बनाना आरजेडी को भारी पड़ेगा. नीतीश कुमार की साख और लोकप्रियता निर्विवाद है और एनडीए को निश्चित रूप से इसका फायदा मिलेगा.
बिहार में नीतीश ही बड़े भाई
- बीजेपी और जेडीयू ने कई विधानसभा चुनाव मिल कर लड़े हैं, इनमें जेडीयू ने हमेशा बीजेपी से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा.2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 141 और बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
- 2015 में नीतीश एनडीए से अलग हो गए थे. आरजेडी और जेडीयू दोनों ने बराबरी यानी 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था. 2020 में नीतीश और बीजेपी साथ आए, तब जेडीयू ने 115 और बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
- उस चुनाव में जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी एनडीए के साथ रहे.
- सहनी की विकासशील इंसान पार्टी को 11 और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा को 7 सीटें दी गई थीं.
- पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर 134 सीटों पर चुनाव लड़ा था, सिर्फ एक सीट ही जीते.
हालांकि जेडीयू को लगता है कि चिराग पासवान के कारण उसे कई सीटों पर नुकसान हुआ और वह तीसरे नंबर पर खिसक गई. इस बार चिराग पासवान की पार्टी कह रही है कि केंद्र में कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद चिराग पासवान विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे और वह ही सामान्य सीट से. इस पर बीजेपी नेताओं का कहना है कि चिराग पासवान की पार्टी को जितनी सीटें मिलेंगी उनमें वह किसे कहां से खड़ा करना चाहती है, वह यह तय कर सकती है. लेकिन जहां तक मुख्यमंत्री का सवाल है, नीतीश कुमार ही चेहरा हैं.