- बरबीघा विधानसभा सीट बिहार के नालंदा जिले में स्थित है और नवादा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है.
- कांग्रेस ने बरबीघा सीट पर अब तक 11 बार जीत हासिल की है जबकि जेडीयू को तीन बार सफलता मिली है.
- वर्तमान विधायक जेडीयू के सुदर्शन कुमार हैं, जिन्होंने इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
बरबीघा विधासभा सीट बिहार की 243 विधानसभा सीटों में अहम जगह रखती है. नलंदा जिले की यह सीट नवादा लोकसभा सीट के तहत आती है. बारबीघा शेखपुरा जिले का सबसे बड़ा वाणिज्यिक केंद्र भी है. इस इलाके का नाम पहले बारह बीघा था. यही वो जगह है, जिसने बिहार को पहला सीएम डॉ. श्री कृष्णा सिंह के रूप में दिया. राष्ट्रकवि राम धारी सिंह दिनकर इस इलाके में हाई स्कूल में हैडमास्टर थे. बरबीघा सीट पर पहली बार चुनाव 1951 से अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस 11 बार इस सीट पर विजयी रही.
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- 1951 के चुनाव में कांग्रेस के कृष्ण मोहन प्यारे सिंह ने जीत हासिल की थी.
- 2020 में विधानसभा चुनाव में जेडीयू के सुदर्शन कुमार ने जीत हासिल की थी.
- कांग्रेस 11 बार बरबीघा विधानसभा सीट पर विजयी रही है.
- जेडीयू ने बरबीघा में 3 बार जीत हासिल की.
- निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो बार इस सीट पर कब्जा जमाया.
- जनता पार्टी बरबीघा सीट पर एक बार जीत चुकी है.
बरबीघा से मौजूदा विधायक हैं जेडीयू के सुदर्शन कुमार
जेडीयू के मौजूदा विधायक सुदर्शन कुमार ने 2020 में महज 113 वोटों से कांग्रेस को हरार जीत हासिल की थी. इससे पता चलता है कि कांग्रेस के प्रति लोगों के मन में खास लगाव है. सुदर्शन ने 2015 में कांग्रेस उम्मीदवार रहते 15,717 वोटों के बड़े अंतर से यहां जीत हासिल की थी. बता दें कि सुरद्शन सिंह पूर्व सांसद और विधायक राजे सिंह के पोते हैं. इस बार सुदर्शन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
बरबीघा विधानसभा सीट के मुद्दे
नालंदा जिले की बरबिघा विधानसभा कभी छोटे उद्योगों, शैक्षणिक संस्थानों और व्यावसायिक रौनक के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब यह इलाका बेरोजगारी, पलायन और अपराध जैसी समस्याओं से जूझ रहा है. स्थानीय उद्योगों के पुनरुद्धार, बिजली, शिक्षा और रोज़गार की कमी यहां की मुख्य चिंताएं हैं. लोगों को लगता है कि नालंदा के विकास का लाभ बरबिघा तक नहीं पहुंचा.
बरबीघा सीट का मुख्य मुकाबला किसके बीच
इस विधानसभा चुनाव में बरबिघा सीट पर जेडीयू और आरजेडी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी यहां पर सक्रिय दिख रही है. 2020 के चुनाव में आरजेडी ने कड़ी चुनौती दी थी और बीजेपी को शहरी मतदाताओं का कुछ समर्थन मिला, लेकिन ग्रामीण इलाकों में महागठबंधन का पलड़ा भारी रहा था.
बरबीघा विधानसभा सीट में किन जातियों का प्रभाव
यहां यादव, कुर्मी, कोइरी, भूमिहार और दलित-महादलित वर्गों का संतुलन राजनीति की दिशा तय करता है. यादव-मुस्लिम मतदाता लगभग 35%, कुर्मी-कोइरी करीब 25% और अगड़ी जातियां लगभग 20% हैं. यह सीट कभी जेडीयू का गढ़ रही है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले की होने के कारण पार्टी इसे प्रतिष्ठा से जोड़ती है.
बरबिघा विधानसभा सीट पर वोटर्स की संख्या
2020 विधानसभा चुनावों में बारबीघा में कुल 2,26,165 रजिस्टर्ड वोटर्स थे. 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर ये 2,32,941 हो गए थे. यहां पर अनुसूचित जाति, वोटर्स की आबादी का 22.22 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम वोटर्स करीब 4.1 प्रतिशत हैं. बारबीघा एक ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जहां सिर्फ 15.61 प्रतिशत वोटर्स ही शहरी हैं.