बिहार में कितने 'बाहुबली' चुनावी मैदान में? जानें इनको कहां से और किस पार्टी ने दिया टिकट

Bihar Chunav Baahubali Candidate: बिहार की राजनीति धीरे-धीरे बदल रही है, लेकिन यह साफ है कि 2025 के इस चुनाव में “बाहुबली फैक्टर” अब भी कई सीटों पर हार-जीत का फैसला कर सकता है.

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बिहार चुनाव में कितने बाहुबली आजमा रहे किस्मत.
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  • बिहार विधानसभा चुनाव में करीब 22 बाहुबली या उनके परिवार के सदस्य विभिन्न पार्टियों से चुनावी मैदान में हैं.
  • मोकामा सीट से जेडीयू के अनंत सिंह और आरजेडी की वीणा देवी बाहुबली परिवारों के प्रमुख प्रत्याशी हैं.
  • रघुनाथपुर से मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब और नबीनगर से आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद मैदान में हैं.
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पटना:

बिहार की राजनीति और 'बाहुबली' नेताओं का रिश्ता पुराना है. हर चुनाव में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जिनका ज़िक्र ताकत, प्रभाव और विवादों के साथ होता है. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी लगभग 22 बाहुबली या उनके परिवार के सदस्य अलग-अलग दलों से मैदान में हैं. इनका असर सिर्फ अपनी सीट तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आसपास की विधानसभा क्षेत्रों पर भी पड़ता है.

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 कौन-सी पार्टी से कितने बाहुबली मैदान में हैं?

मोकामा से अनंत सिंह:  पटना के मोकामा सीट से लंबे समय से चर्चित बाहुबली नेता अनंत कुमार सिंह उर्फ छोटे सरकार इस बार जेडीयू के टिकट पर मैदान में हैं. वहीं, इसी सीट से आरजेडी ने वीणा देवी, जो बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी हैं, को प्रत्याशी बनाया है. दानापुर सीट से बाहुबली छवि वाले रितलाल यादव फिर से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. रितलाल पहले भी जेल में रहते हुए चुनाव जीत चुके हैं और अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं.

रघुनाथपुर से ओसामा: सीवान जिले के रघुनाथपुर से दिवंगत बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब आरजेडी के प्रत्याशी हैं. वह अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

नबीनगर से चेतन आनंद: औरंगाबाद जिले के नबीनगर से चेतन आनंद, जो बाहुबली आनंद मोहन सिंह के पुत्र हैं, जेडीयू के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. चेतन आनंद अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने में सक्रिय हैं और युवाओं में लोकप्रिय चेहरा माने जाते हैं.

एकमा सीट से मनोरंजन: सारण जिले की एकमा सीट से मनोरंजन उर्फ धूमल सिंह लोजपा के उम्मीदवार हैं. गोपालगंज जिले के कुचायकोट सीट से अमरेंद्र उर्फ पप्पू पांडेय जदयू के टिकट पर अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं. उनका नाम भी राज्य के चर्चित बाहुबली चेहरों में शामिल रहा है.

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ब्रह्मपुर से हुलास पांडे: बक्सर जिले से विषाल प्रशांत, जो बाहुबली सुनील पांडे के पुत्र हैं, भाजपा (BJP) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, ब्रह्मपुर (बक्सर) से हुलास पांडे लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार हैं. वैशाली जिले से शिवानी शुक्ला, जो बाहुबली मुन्ना शुक्ला की पुत्री हैं, आरजेडी की प्रत्याशी हैं. यह चुनाव उनके लिए पहली बड़ी राजनीतिक परीक्षा माना जा रहा है.

वारिसलीगंज से अनीता देवी: नवादा जिले से विभा देवी, जो बाहुबली राजबल्‍लभ यादव की पत्नी हैं, जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि पास के वारिसलीगंज सीट से अनीता देवी, जो कुख्यात अशोक माहतो की पत्नी हैं, आरजेडी की उम्मीदवार हैं.

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मंझी सीट से रंधीर सिंह: वहीं, उसी क्षेत्र से अरुणा देवी, जो अखिलेश सिंह सरदार की पत्नी हैं, भाजपा की ओर से चुनाव मैदान में हैं.सारण जिले के मंझी सीट से रंधीर सिंह, जो बाहुबली प्रभुनाथ सिंह के बेटे हैं, जदयू के उम्मीदवार हैं.

 इन बाहुबलियों का प्रभाव अपने-अपने क्षेत्रों में काफी मजबूत माना जाता है. यही कारण है कि बड़े राजनीतिक दल अब भी इन बाहुबली परिवारों पर भरोसा जताते हैं. हालांकि बिहार की राजनीति धीरे-धीरे बदल रही है, लेकिन यह साफ है कि 2025 के इस चुनाव में “बाहुबली फैक्टर” अब भी कई सीटों पर हार-जीत का फैसला कर सकता है.

बाहुबली नेताओं का राजनीतिक असर

  •  स्थानीय संगठन और वोट बैंक: बाहुबली परिवारों का स्थानीय स्तर पर मजबूत नेटवर्क होता है. वे वोटरों, उन से जुड़े कारोबारियों और दबदबे के माध्यम से चुनावी संस्था पर असर डालते हैं. इसलिए कई बार वे वोट-बंटवारे और चुनावी रणनीति को बदल देते हैं.
  •  वोटर लॉयल्टी और डर का मिश्रण: ग्रामीण इलाकों में इन परिवारों का सीधा प्रभाव मतदाताओं तक है. लोगों में ‘भय और भरोसा' दोनों का संतुलन देखा जाता है.
  • राजनीति का बदलता चेहरा: कई बाहुबली अब अपनी जगह अपने परिवार के सदस्यों को दे रहे हैं, जैसे शहाबुद्दीन, आनंद मोहन, मुन्ना शुक्ला या राजबल्‍लभ यादव के परिजन. इससे पार्टियां यह संदेश भी देना चाहती हैं कि “नई पीढ़ी” अब कम विवादित और अधिक सॉफ्ट इमेज के साथ आएगी.

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