इस बार कौन बनेगा रफीगंज का विधायक, जानिए इस सीट पर कैसा रहा है चुनावी गणित 

रफीगंज सीट ग्रामीण-आधारित चुनौतियों और सामाजिक-समीकरणों से लैस है. इस क्षेत्र में मुख्य तौर पर सड़क-बिजली-पानी जैसे बुनियादी विकास की मांगें लंबे समय से जारी हैं.

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  • रफीगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है और यह जनरल कैटेगरी की विधानसभा सीट है.
  • इस सीट पर करीब 92 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण हैं और सामाजिक रूप से अनुसूचित जातियों का हिस्सा करीब 17 प्रतिशत है.
  • क्षेत्र में मुख्य मुद्दे सड़क, बिजली, पानी, बेरोजगारी, कृषि-सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और पलायन से जुड़े हैं.
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नई दिल्‍ली:

रफीगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है और यह जनरल कैटेगरी की विधानसभा सीट है. इस सीट की संख्या 224 है और बाकी विधानसभा क्षेत्रों की तरह यहां पर भी ग्रामीण मतदाता हावी हैं. इस क्षेत्र की करीब 92 फीसदी से ज्‍यादा मतदाता ग्रामीण आबादी के तौर पर हैं. सामाजिक-जातिगत रूप से भी यह सीट काफी विविधता भरी है. यहां पर अनुसूचित जातियों (एससी) का हिस्सा करीब 26-27 फीसदी के आसपास है. लोकसभा की दृष्टि से भी यह सीट औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है. इस सीट पर दूसरे दौर के तहत यानी 11 नवंबर को वोटिंग होनी है. 

इस क्षेत्र के खास मसले 

रफीगंज सीट ग्रामीण-आधारित चुनौतियों और सामाजिक-समीकरणों से लैस है. इस क्षेत्र में मुख्य तौर पर सड़क-बिजली-पानी जैसे बुनियादी विकास की मांगें लंबे समय से जारी हैं. इसके अलावा जात-समुदाय की भूमिका का प्रभाव भी इस सीट पर निर्णायक रहा है, खासकर पिछड़ी और अनुसूचित जातियों का मत-भाव यहां काफी अहमियत रखता है. इस क्षेत्र में युवा बेरोजगारी, कृषि-सिंचाई, ग्रामीण शिक्षा-स्वास्थ्य और पलायन जैसे मुद्दे समान रहे हैं. साथ ही, पार्टियों के बीच प्रत्याशी चयन और स्थानीय समीकरणों का असर भी इस सीट पर साफ दिखा है. 

क्‍या था पिछला चुनावी नतीजा 

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर मोहम्मद नेहालुद्दीन जो राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से आते हैं, उन्‍हें जीत हासिल हुई थी. नेहालुद्दीन को करीब 63,325 वोट मिले थे. वही निर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर उन्‍हें प्रमोद कुमार सिंह से करीबी टक्‍कर मिली थी. प्रमोद कुमार को करीब 53,896 वोट मिले थे. जीत का मार्जिन करीब 9,429 वोट रहा.  वोट-शेयर की दृष्टि से यह जीत बहुत बड़ी नहीं थी बल्कि मुकाबला काफी करीबी रहा. 

पिछली हार-जीत और माहौल 

पिछले चुनावों पर नजर दौड़ाए तो साल 2015 और 2010 में यह सीट जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के आशोक कुमार सिंह के खाते में गई थी. वहीं, 2020 में आरजेडी ने यहां पर परचम लहराया. इससे साफ है कि इस सीट पर राजनीतिक दल-गठबंधन और उम्‍मीदवारों के समीकरण समय-समय पर बदलते रहे हैं. वर्तमान चुनाव को लेकर इस सीट पर 'कौन बनेगा' की जंग है. पिछली जीत का मार्जिन ज्‍यादा नहीं था और इसलिए अगला चुनाव दोनों तरफ से सक्रिय संघर्ष का मैदान बने होने की संभावना है. 

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