पवन वर्मा के बाद क्या अब प्रशांत किशोर को बाहर का रास्ता दिखाएंगे नीतीश कुमार? जानें क्या हैं सियासी समीकरण

बिहार में राजनीतिक गलियारों में अब इस बात को लेकर अटकलें शुरू हो गईं है कि नीतीश कुमार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को पार्टी से बाहर का रास्ता कब दिखाएंगे?

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
बिहार के मुख्यमंत्री और JDU प्रमुख नीतीश कुमार के साथ प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो)
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • पवन वर्मा के बाद नीतीश के अगले कदम की चर्चा
  • प्रशांत किशोर को लेकर सियासी गलियारों में अटकलें तेज
  • चुनावी साल में BJP से कोई भी मतभेद नहीं चाहते नीतीश
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री और JDU अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उम्मीद के मुताबिक पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन वर्मा (Pawan Verma) को दो टूक शब्दों में कह दिया कि जहां उन्हें अच्छा लगे वहां चले जाएं. इसके बाद अब राजनीतिक अटकलें इस बात को लेकर शुरू हो गई हैं कि प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को वह पार्टी से बाहर का रास्ता कब दिखाएंगे? लेकिन उस घड़ी और उसके सही समय को लेकर उत्सुक नेताओं का कहना है कि वह समय नीतीश कुमार के अनुरूप होगा. जैसे पार्टी में शामिल करने का दिन उन्होंने खुद तय किया था, विदाई की भी तारीख वह अपनी सुविधा के अनुसार तय करेंगे.

JDU नेता पवन वर्मा ने CAA-NRC पर मांगी थी नीतीश कुमार से सफाई, तो बिहार CM बोले- जिसको जहां जाना है, जाएं

सवाल है कि नीतीश कुमार पवन वर्मा और प्रशांत किशोर सरीखे बिना जनाधार वाले नेताओं से पीछा क्यों छुड़ाना चाहते हैं? इसका सीधा जवाब यही है कि जिस दिन प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक मस्तिष्क से निकाल दी, उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. हालांकि उन्हें मालूम था कि इसका सीधा असर उनकी राजनीतिक पूंजी, जो उनकी धर्मनिरपेक्ष नेता की छवि है, पर पड़ेगा. उसी तरह अब वह एक बार फिर भाजपा के सहयोग से बिहार का मुख्यमंत्री निर्वाचित होना चाहते हैं. इसे लेकर इस वर्ष में वे ऐसा कोई विवाद नहीं चाहते, जिसका असर उनके चुनाव पर पड़े.

Advertisement

CAA पर JDU में कलह? नीतीश कुमार को पवन वर्मा का जवाब- पार्टी छोड़ने का तो विकल्प सभी के पास है

Advertisement

नीतीश कुमार को लगता है कि एक ऐसे समय में जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक नहीं तीन-तीन बार केवल अपनी पार्टी के बयानवीर नेताओं को शांत कराने के लिए ये घोषणा कर दी कि विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. इसके बाद उनकी तरफ से भाजपा के किसी नीति सिद्धांत से संबंधित कोई आलोचना करने वाले बयान या ट्वीट नहीं होना चाहिए.

Advertisement

दिल्ली चुनाव में BJP-JDU गठबंधन पर पार्टी नेता ने उठाए सवाल तो वशिष्ठ नारायण सिंह बोले: सार्वजनिक तौर पर जवाब मांगना अनुचित

Advertisement

इसके अलावा नीतीश कुमार का अपना आकलन है कि जब भाजपा और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी उनके साथ है और सामने तेजस्वी यादव हैं तब उन्हें न तो पवन वर्मा के अंग्रेजी चैनल में भागीदारी और न प्रशांत किशोर के चुनावी नुस्खों की कोई जरूरत है. इसके समर्थन में वे अपने सिपहसालारों को लोकसभा का प्रचार और परिणाम दिखाते हैं, जब उन्होंने प्रशांत किशोर को हाशिये पर रखकर 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी. हालांकि इस जीत को लेकर भाजपा अभी भी मानती है कि ये नरेंद्र मोदी का चुनाव था और वोट भी उनके नाम पर डाले गए थे. लेकिन नीतीश को फिलहाल भाजपा का साथ पसंद है, क्योंकि वह राजद के साथ सरकार चलाने के दौरान कटु अनुभव को आज तक नहीं भूले हैं. ऐसा नहीं है कि भाजपा उन्हें माथे पर बिठाकर रखती है, जैसे बाढ़ राहत मदद में भी बिहार को बहुत कम राशि केंद्र से मिली. इसके अलावा केंद्र बिहार के अधिकांश योजनाओं को खारिज कर देता है, लेकिन फिलहाल नीतीश इन सब चीजों को तूल नहीं देना चाहते.

दिल्ली में BJP के साथ गठबंधन पर JDU नेता पवन वर्मा नाराज, नीतीश को चिट्ठी लिखकर मांगी सफाई

यही कारण है कि नीतीश कुमार नागरिकता कानून हो या एनपीआर, इन पर हो रहे विरोध के बावजूद भाजपा की आलोचना में कुछ नहीं बोलेंगे. उन्हें मालूम है कि भाजपा के नए नागरिक कानून और एनपीआर के बाद मुस्लिम समाज उनसे नाराज़ है और शायद विधानसभा में वोट मिलना मुश्किल हैं. 

Delhi Election 2020: जदयू के स्टार प्रचारकों की सूची से प्रशांत किशोर, पवन वर्मा आउट

पसमांदा वोट बैंक जो उन्होंने बनाया उस पर भाजपा के एक निर्णय से सब कुछ ज़ीरो हो गया, लेकिन साथ-साथ समाज में हिंदू ध्रुवीकरण से उन्हें अपनी नैया पार होने में कोई दिक्कत नहीं लगती. इसलिए मुस्लिम लोगों पर भाजपा से संबंधित संगठन के लोग गोली चलाते हैं और ज़िंदा व्यक्ति को जला देते हैं, जैसा सीतामढ़ी में दो साल पूर्व या फुलवारीशरीफ़ में पिछले महीने हुआ, नीतीश ऐसी घटनाओं को रफा दफा करने में ज़्यादा विश्वास रखते हैं. इसलिए प्रशांत किशोर को भी मालूम है जिस दिन नीतीश अपने मनमुताबिक भाजपा से सीटों का समझौता करने में कामयाब होंगे, उसके 24 घंटे के अंदर पार्टी की कार्यकारिणी का गठन कर उन्हें जिन्हें उन्होंने भविष्य माना था उसे बिहार की राजनीति से बाहर फेंकने में देर नहीं करेंगे. नीतीश जानते हैं उनके इस कदम से भाजपा और उनके अपने कैबिनेट के लोगों को सबसे ज़्यादा खुशी होगी. नीतीश कुमार का ये अपना चुनावी साल है, इसलिए वह किसी भी हद तक BJP के साथ-साथ सुर ताल के साथ कदम ताल भी मिलाकर चलना चाहते हैं.

VIDEO: पवन वर्मा के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा: जिसको जहां अच्छा लगे जाए

Featured Video Of The Day
Kolkata Rape Case: लड़कियों को पीटता था...आरोपी Monojit Mishra की करीबी के NDTV पर EXCLUSIVE खुलासे
Topics mentioned in this article