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Mahashivratri 2023 : भगवान शिव की पूजा इस विधि से करें और यह हैं व्रत के नियम और कथा

mahashivratri : यहां हम जानेंगे महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में.

Edited by Updated : February 18, 2023 8:05 AM IST
Mahashivratri 2023 : भगवान शिव की पूजा इस विधि से करें और यह हैं व्रत के नियम और कथा
mahashivratri vrat importance : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से पूरे साल पूजा करने का फल मिलता है.
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Mahashivratri 2023 : हर महीने एक शिवरात्रि आती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं, लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण है फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि, इस दिन महाशिवरात्रि होती है. इस साल 2023 में महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी को मनाया जाएगा. शास्त्रों के मुताबिक इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. हालांकि कई जगह पर इस दिन भगवान शिव के ज्योर्तिमय रूप में प्रकट होने का दिन भी कहा गया है.  इस दिन भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करने से वे काफी प्रसन्न होते हैं और साधक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से पूरे साल पूजा करने का फल मिलता है. यहां हम जानेंगे महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में.


बिल्वपत्र से करें शिव को प्रसन्न


भगवान शिव को यूं ही भोलेनाथ नहीं कहा जाता. उनकी साफ मन से पूजा करने से वे शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की सारी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं. यही कारण है कि भोलेनाथ के भक्त सावन माह में या महाशिवरात्रि के दिन भक्तिभाव से उनकी पूजा करते हैं और उन्हें जल और दूध का अर्पण करते हैं. भोलेनाथ को बिल्वपत्र भी काफी प्रिय हैं. ऐसे में शिवलिंग पर बिल्वपत्र भी अर्पण करना चाहिए.


उपवास में नमक के सेवन से बचें


कहते हैं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. भोलेनाथ को भांग, धतूरा, चंदन, बेर, गन्ना इत्यादि अर्पित किया जाता है, तो माता पार्वती को सुहागिन महिलाएं, चुड़ी, बिंदी, साड़ी और सिंदूर अर्पित करती हैं. महाशिवरात्रि के दिन कई लोग उपवास भी करते हैं. उपवास की स्थिति में फलाहार करना चाहिए. इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.


मंदिर ना जाएं, तो घर पर करें जाप


वैसे महाशिवरात्रि की पूजा चार प्रहर में की जाती है. इस दिन पूजा के दौरान ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहना चाहिए. अगर मंदिर जाना संभव न हो तो घर में ही पूजा के साथ मंत्र जाप करना चाहिए.

महाशिवरात्रि व्रत के लाभ

महाशिवरात्रि व्रत शुभ फलदायी होता है. अविवाहित लड़कियों को इस दिन व्रत करने से जल्द विवाह के संयोग बनते हैं. वहीं विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.


महाशिवरात्रि व्रत के नियम


- इस दिन सुबह जल्द उठकर भगवान शिव का ध्यान करें. इसके बाद स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद सारी तैयारी कर मंदिर जाएं या फिर घर में ही पूजन करें.
- शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए. इसके बाद स्वच्छ जल अर्पित कर चंदन और कुमकुम का तिलक लगाएं.
- भोलेनाथ को फल-फूल, मिठाई आदि अर्पित कर उनकी पूजा करें.
- भगवान शिव की कथा, शिव पुराण, शिव भजन, शिव चालीसा आदि का पाठ करें.
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए
- व्रती को दिन में सोने से परहेज करना चाहिए. साथ हो सकें तो रात्रि में भी चारों पहर भगवान का पूजन करें.

महाशिवरात्रि के दिन क्या खाएं


- वैसे तो इस दिन व्रती उपवास करते हैं. आप चाहें तो फलाहार कर सकते हैं.
- महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले भक्त को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.
- खट्टे फल का सेवन करने से बचें.


महाशिवरात्रि व्रत कथा


महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा के मुताबिक चित्रभानु नामक एक शिकारी शिकार के लिए जंगल में गया था. रात हो जाने के कारण वह वहीं एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात गुजरने का इंतजार करने लगा. पेड़ के नीचे ही एक शिवलिंग था. अनजाने में शिकारी के हाथ बेलपत्र टूट कर शिवलिंग पर गिर रहे थे. इस बीच शिकारी ने एक हिरणी को देखा. उसने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई तो हिरनी ने  कहा कि घर जाकर पति से मिलकर आ जाएगी. शिकारी ने उसे जाने दिया. इसके बाद एक गर्भिणी हिरणी पहुंची. शिकारी ने जब उसे मारना चाहा तो उसने कहा कि वह बच्चे को जन्म देकर उसके पास आ जाएगी. शिकारी ने उसे भी जाने दिया. शिकारी भूख से तड़प रहा था और तब तक सुबह हो चुकी थी. इस बीच शिकारी ने एक हिरण को देखा. जब उसे मारना चाहा तो हिरण ने कहा कि अगर उसने पहले गुजरी हिरणियों को मार दिया है तो वह उसे भी मार दे, अन्यथा उसे छोड़ दे. वह अपने परिवार से मिलकर वहां आ जाएगा. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जब शिकारी धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा रहा था उससे लगकर बिल्वपत्र टूटकर शिवलिंग पर गिर रहे थे. अनजाने में शिकारी का उपवास और पूजन भी हो गया. इसके बाद वादे के मुताबिक हिरण सपरिवार वहां पहुंचा. इधर अनजाने में शिव की पूजा के कारण उसका मन बदल चुका था और उसने हिरण परिवार को जीवनदान दे दिया. जीव दया के इस प्रभाव से अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई और वह शिवलोक को चला गया.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)