
Malavya yog : कुंडली में बनने वाले कई योगों में से ही एक है मालव्य योग. इस योग को भी शुभ योग माना जाता है. इसे राजयोग की भी संज्ञा दी जाती है. कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति से इस योग का निर्माण होता है. हालांकि, इस दौरान अशुभ ग्रहों की स्थिति का प्रभाव भी इस योग के प्रभाव के कम कर सकता है. करियर के लिहाज से मालव्य योग काफी लाभकारी होता है. इस योग का आपके करियर पर भी अनुकूल प्रभाव देखने को मिलता है. हालांकि, विभिन्न भाव में मालव्य योग का अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलता है. कुंडली में मालव्य योग हो तो जातक काफी प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी होता है. जीवन में उसे सुख-सुविधा के सारे साधन मिलते हैं और वह लग्जरी लाइफ व्यतीत करता है.
कैसे बनता है मालव्य योग
कुंडली में जब शुक्र अपनी स्वराशि यानी वृषभ और तुला या उच्च राशि मीन में पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में हों, तब यह योग बनता है. मालव्य योग को राजयोग भी कहा जाता है. ऐसे में अगर किसी कुंडली में मालव्य योग बन रहा है, तो जातक का जीवन काफी समृद्धशाली होता है.
मालव्य योग के सकारात्मक प्रभाव
मालव्य योग का सकारात्मक प्रभाव करियर पर देखने को मिलता है. रचनात्मक क्षेत्र में काफी सफलता मिलती है. जातक कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जन, ब्यूटीशियन, फैशन डिजाइनर, मॉडल, सिंगर या अन्य क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. अगर पहले भाव में मालव्य योग बन रहा हो, तो व्यापार में सफलता मिलती है. इसी तरह चौथे भाव में इस योग के प्रभाव से सुख संपत्ति मिलती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है. अगर सातवें भाव में यह योग बन रहा हो, तो बिजनेस और क्षेत्र में जबरदस्त सफलता मिलती है. वैवाहिक जीवन भी खुशहाल होता है. वहीं दसवें भाव में मालव्य योग के प्रभाव से जातक को जबरदस्त आर्थिक लाभ होता है.
मालव्य योग के नकारात्मक प्रभाव
हर योग की तरह मालव्य योग के भी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं. योग का प्रभाव ग्रहों की स्थिति पर भी निर्भर करता है. ऐसे में अगर शुक्र शुभ स्थिति में हों, तभी आपको मालव्य योग के शुभ फल की प्राप्ति होगी, अन्यथा इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं. इसका प्रभाव आपके व्यापार और कैरेक्टर पर भी देखने को मिल सकता है. दूसरी और अगर शुक्र शुभ हों, लेकिन किसी दूसरे अशुभ ग्रह के प्रभाव में हों, तब भी मालव्य योग का फल कम हो जाता है.