
Premanand Maharaj Ji: दुनिया में कई लोग हैं, जो बिना मेहनत और त्याग के जीवन में सफल होना चाहते हैं, लेकिन एक अच्छा इंसान बनने और सफल होने के लिए दृढ़निश्चय, समर्पण, लगन, कड़ा परिश्रम और धैर्य जरूरी होता है. अगर जीवन में बदलाव चाहते हैं, तो इन सब चीजों के साथ-साथ आध्यात्म भी बहुत जरूरी होता है. प्रेमानंद महाराज जी ने बताया है कि एक सच्चा और शुद्ध इंसान बनने के लिए किन दो बातों का अनुसरण करना जरूरी है. प्रेमानंद महाराज जी का मानना है कि जब तक तन और मन शुद्ध नहीं होगा तब तक कोई भक्ति काम नहीं करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि भोग-विलास करने वाला इंसान भगवान का भक्त नहीं हो सकता. चलिए जानते हैं उन दो चीजों के बारे में जो इंसान की जीवन के बदलकर रख देगी.
ये 2 बातें बदल देंगी जीवन (These Two Principles Can Transform Your Life)
प्रेमानंद महाराज जी को मानने वालों की कमी नहीं है. उनकी शरण में भक्तों का मेला लगा रहता है और वे अपने भक्तों को हमेशा ऐसी बातें बताते हैं, जिससे उनकी जिंदगी के नए-नए मार्ग खुलते हैं. एक बेहतरीन जीवन के लिए प्रेमानंद महाराज जी ने जिन दो बातों पर जोर दिया है, उसे अपनाने से किसी का भी व्यक्तित्व भगवान के समान हो सकता है. प्रेमानंद महाराज जी कहते हें कि जो प्राणी आजीवन ब्रह्मचारी रहता है और निरंतर भगवान का भजन करता है, उससे भगवान भी प्रसन्न होते हैं. यहां तक कि खुद भगवान भी उस इंसान के भक्त बन जाते हैं. एक नेक इंसान बनने के लिए प्रेमानंद इन्हीं दो बातों पर जोर देते हैं.
किन चीजों से रहना है दूर? (What Should One Stay Away From?)
प्रेमानंद जी ने कबीर दास के एक दोहे (चदरिया झीनी रे झीनी) से भक्तों को समझाया कि जैसे दुनिया में आए वैसे ही रहे. अच्छा इंसान बनने के लिए कोई प्रयोग नहीं किया. वे आगे कहते हैं कि भोग विलास करने वाले इंसान का भगवान अभिनंदन नहीं करते. उन्होंने कहा कि भोग विलास करने वाला इंसान कितनी ही माला जप ले भगवान का स्नेही नहीं बन पाएगा और ना ही अच्छा इंसान. प्रेमानंद जी ने बताया कि भगवान जैसा होने के लिए तन्म्य तपस्या करनी पड़ती है और इसके लिए भोग विलास त्यागना पड़ता है. जीवन में व्यर्थ की चीजों को त्यागने पर ही भगवान को पाया जा सकता है और जीवन को बदला जा सकता है. इच्छाओं का त्यागी, कामनाओं का त्यागी और भोगों का त्यागी ही भगवान का भक्त और एक शुद्ध इंसान बन सकता है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.