आत्मनिर्भरता से दूसरों की खाद्य जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है भारत: नरेंद्र सिंह तोमर

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा है कि भारत में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ ही दुनिया के बड़े हिस्से की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता है.

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तोमर ने कहा कि अगले 6 वर्षों में 10,900 करोड़ रु. के प्रोत्साहन के साथ PLI योजना शुरू की जा रही है. 
नई दिल्ली:

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा है कि भारत में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ ही दुनिया के बड़े हिस्से की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता है. तोमर ने मंगलवार को भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) द्वारा आयोजित लीड्स-2022 सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश भविष्य की जरूरतों तथा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक योजनाओं के साथ आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि उच्च खाद्यान्न उत्पादन बनाए रखने के लिए उत्पादकता बढ़ाना जरूरी है, इसके लिए भी देश सचेत है. उनका मानना है कि खेती में तकनीक का समावेश करते हुए किसानों तक पहुंच बढ़ाने व सिंचाई व्यवस्था से कृषि की लागत कम की जा सकेगी साथ ही उत्पादन को भी बढाया जा सकता है.

कृषि मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद देश में कृषि क्षेत्र ने 3.9 प्रतिशत की विकास दर की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. कृषि निर्यात का आंकड़ा भी 4 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2050 तक विश्व की जनसंख्या 900 करोड़ से ज्यादा होने के अनुमान के साथ आहार की मांग में वृद्धि होगी, जिससे कृषि उद्देश्यों, पशुओं के लिए चारागाह और उर्वरक तथा आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के लिए भूमि की अधिक आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, कृषि को प्राथमिकता दिए जाने के साथ देश में हाल के वर्षों में कृषि का काफी विस्तार हुआ है और हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े खाद्य उत्पादक के रूप में उभरे हैं. भारत का भूगोल, जलवायु व मिट्टी बहुत विविध हैं, इसलिए यह स्वाभाविक रूप से विभिन्न फसलों के उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि विश्व में सर्वाधिक फसल सघनता भारत में है. चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2021-22 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन 315.72 मीट्रिक टन है.

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकार लगातार छोटे किसानों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही है. इस दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है, ताकि खेती-किसानी की चुनौतियों को कम किया जा सके और किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत, केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक मत्स्य पालन क्षेत्र में 70 हजार करोड़ रु. से ज्यादा का निवेश करना है. सरकार को 2024-2025 तक मछली उत्पादन 220 लाख टन तक बढ़ने की उम्मीद है.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगले 6 वर्षों में 10,900 करोड़ रु. के प्रोत्साहन के साथ खाद्य प्रसंस्करण के लिए पीएलआई योजना क्रियान्वित की जा रही है, वहीं कृषि उड़ान योजना के तहत हवाई परिवहन द्वारा कृषि-उत्पादों की आवाजाही के लिए सहायता-प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है, जो पूर्वोत्तर व आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष लाभदायी है. श्री तोमर ने कहा कि 11 हजार करोड़ रु. के खर्च से राष्ट्रीय आयल पाम मिशन शुरू किया गया है, साथ ही जैविक व प्राकृतिक खेती को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है. अगले साल अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष भारत की अगुवाई में मनाया जाएगा, जिसकी तैयारियां जोरों पर है. सम्मेलन में न्यूजीलैंड के व्यापार और निर्यात विकास, कृषि, जैव सुरक्षा, भूमि सूचना और ग्रामीण समुदाय मंत्री डेमियन ओ'कॉनर तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधि व अन्य लोग उपस्थित थे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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