अशोक अरोड़ा हरियाणा के दिग्गज नेताओं में से एक हैं. वो 2019 के चुनाव से पहले इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो इनेलो का 14 साल तक अध्यक्ष रहे.उन्हें अध्यक्ष बनाए रखने के लिए इनलो को अपने संविधान में संशोधन भी करना पड़ा था. वो इनेलो की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.जब वो कांग्रेस में शामिल हुए, उस समय वो इनेलो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे. कांग्रेस ने उन्हें इस चुनाव में कुरुक्षेत्र के थानेसर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है.
अशोक अरोड़ा चार बार विधायक रह चुके हैं.वो 2000 और 2009 के विधानसभा चुनाव में थानेसर विधानसभा सीट से ही इनेलो के टिकट पर विधायक चुने गए थे. लेकिन 2005 के चुनाव में वो चुनाव हार गए थे. उन्हें 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा था. अरोड़ा 2019 के चुनाव से पहले इनलो छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद भी उन्हें जीत नसीब नहीं हुई थी. एक बार फिर उन पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है.अरोड़ा की गैर जाट खासकर पंजाबी बिरादरी में अच्छी पकड़ मानी जाती है.
अरोड़ा के पास 83 लाख रुपये से अधिक की चल संपत्ति और करीब डेढ़ करोड़ की अचल संपत्ति का ब्योरा अरोड़ा ने अपने चुनाव हलफनामे में दिया है. उनके ऊपर कोई भी केस दर्ज नहीं है. अरोड़ा ने हाई स्कूल तक की पढ़ाई की है.