गरीब रथ ट्रेन 'गरीब' क्यों है? पैसेंजर ने शेयर किया यात्रा का अनुभव, बोला- 12 घंटे लेट और टॉयलेट का तो पूछिए ही मत!

इस ट्रेन की एक यह भी खासियत है कि यह बाकी 3 एसी वाली ट्रेनों से थोड़ा अलग है. जहां बाकी ट्रेन में साइड बर्थ पर सिर्फ अपर और लोअर सीट होती है, वहीं गरीब रथ में मिडिल बर्थ भी होती है.

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गरीब रथ ट्रेन 'गरीब' क्यों है? पैसेंजर ने शेयर किया यात्रा का अनुभव

भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा और सफर को आसान बनाने के लिए बहुत से नई ट्रेनें चला दी हैं, जिनमें लोगों को ऐसी सभी सुविधाएं मुहैया कराईं जाती हैं, जिनसे उन्हें अपने सफर परेशानी न हो. जिनमें से एक है गरीब रथ ट्रेन जो कम कीमत में ठीक-ठाक सुविधाएं देने वाली ट्रेनों में गिनी जाती है. इस ट्रेन की एक यह भी खासियत है कि यह बाकी 3 एसी वाली ट्रेनों से थोड़ा अलग है. जहां बाकी ट्रेन में साइड बर्थ पर सिर्फ अपर और लोअर सीट होती है, वहीं गरीब रथ में मिडिल बर्थ भी होती है.

गरीब रथ ऐसी ट्रेन है जिसकी गिनती किफायती दाम में अच्छा सफर कराने वाली ट्रेनों में की जाती है. लेकिन, इंटरनेट पर एक पोस्ट हो रही है, जिसमें रेडिट यूडर ने अपनी गरीब रथ का अनुभव शेयर किया है. जिसे जानने के बाद यूजर्स अब अपनी भी राय दे रहे हैं. जहां कुछ लोगों का कहना है कि पहले के ज़माने में गरीब रथ एक हाई-प्रायॉरिटी ट्रेन थी, तो वहीं कई लोगों का मानना है कि अब भी कई जगहों पर गरीब रथ अच्छी कंडीशन में चल रही है.

r/indianrailways के रेडिट पेज पर @whokeshav नाम के यूजर ने लिखा है, अब मुझे पता चला कि गरीब रथ को गरीब रथ क्यों कहते हैं... और अब यह पोस्ट वायरल हो रही है. पोस्ट में शख्स ने प्वाइंटर्स में अपनी बात रखी है, जिसे जानने के बाद यूजर्स पोस्ट पर जमकर कमेंट कर रहे हैं.

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Now I know why Garib rath is called Garib Rath
byu/whokeshav inindianrailways

पहले प्वाइंट में रेडिट यूजर ने लिखा- कि ट्रेन छूटने का समय सुबह 5 बजे था, लेकिन वह लेट हो गई और शाम के 6 बजे छूटी. गरीब रथ कोच और बर्थ इतने पुराने थे कि उस पर बैठने के लिए आपका शरीर मजबूत होना चाहिए. तीसरे प्वाइंट वॉशरूम के बारे में लिखा- उसकी तो बात भी नहीं करना चाहता. यूजर के गरीब रथ की सिर्फ एक चीज जो अच्छी लगी वो यह कि AC काम कर रहा था. लेकिन वह ट्रेन बिलकुल अपने नाम के जैसी ही थी. मुझे उम्मीद है कि मेरा 23 घंटे का सफर, जो पहले ही 12 घंटे लेट होने की वजह से 35 घंटे का हो गया है, वो अब बस 48 घंटे का न हो.

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यूजर्स भी गरीब रथ की ऐसी हालत पर जमकर रिएक्शन दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा- मुझे याद है, गरीब रथ को राजधानी और शताब्दी के बाद एक उच्च प्राथमिकता वाली ट्रेन माना जाता था. लेकिन, वक्त के साथ और भारतीय रेल में नई ट्रेनों की शुरुआत के साथ, पुरानी ट्रेनों ने अपनी चमक खो दी है. और इसका नाम भी सही है, क्योंकि इसका किराया बाकी प्रीमियम ट्रेनों की तुलना में कम था.

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एक अन्य यूजर ने लिखा- मैं अक्सर विशाखापत्तनम और सिकंदराबाद के बीच यात्रा करता हूं और यह यात्रा लगभग 12 घंटे की होती है. इस रूट पर गरीब रथ ट्रेन ज्यादातर समय पर ही रहती है और साथ ही इसका रखरखाव भी अच्छा है.

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