भारत के इस अनोखे स्कूल में पैसों से नहीं भरी जाती फीस, जमा करनी पड़ती है 100 खाली प्लास्टिक की बोतलें

भारत में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां बच्चों को फीस के तौर पर पैसे जमा नहीं करने पड़ते, बल्कि खाली प्लास्टिक की बोतलें जमा करनी पड़ती हैं. यही वजह है कि, सोशल मीडिया पर ये चर्चा का विषय बना हुआ है.

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प्रतिकात्मक फोटो.

शिक्षा हर बच्चे के लिए जरूरी है, जो पढ़-लिखकर समाज और अपने लिए कुछ कर पाए. आज के समय में लोग एजुकेशन की वैल्यू जानते हैं, लेकिन वक्त के साथ-साथ एजुकेशन भी महंगी हो चली है. यही वजह है कि, हर माता-पिता अपने बच्चे को अच्छी एजुकेशन के लिए पहले से ही पाई-पाई जोड़ना (सेविंग्स) शुरू कर देते हैं, लेकिन कुछ स्कूल ऐसे भी है, जो बच्चे की शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, ताकि बच्चा अच्छी एजुकेशन के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके. सोशल मीडिया पर हाल ही में एक ऐसा ही स्कूल चर्चा का विषय बना हुआ है, जो कि भारत के असम में है.

गुवाहाटी के इस स्कूल में ऐसे कई माइलस्टोन स्थापित किये गए हैं, जो अब अन्य राज्यों के लिए रोलमॉडल बन रहे हैं. कमाल की बात तो यह है कि, स्कूल में बच्चों को फीस के तौर पर पैसे जमा नहीं करने पड़ते, बल्कि खाली प्लास्टिक की बोतलें जमा करनी पड़ती हैं. हैरानी की बात तो यह है कि यहां पढ़ने वाले बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ कमाई भी कर लेते हैं. बताया जा रहा है कि, यहां ग्रामीण इलाकों के सौ से ज्यादा बच्चे ज्ञान प्राप्त करते हैं. 

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फीस की बात की जाए तो हर हफ्ते यहां बच्चे 25 खाली पानी की बोतलें जमा करते हैं. इस स्कूल को खोलने का आइडिया, जिस कपल का था, उन्होंने क्षेत्र में गंदगी का अंबार और पढ़ाई की कमी देखी थी, यही वजह थी कि, वह बच्चों को अच्छी शिक्षा और समाज के लिए कुछ अच्छा सीखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होने इस स्कूल से शुरुआत की, जहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कारपेन्ट्री, गार्डनिंग व अन्य कलाओं के साथ ही प्लास्टिक की बोतलों से कई तरह की चीजों का निर्माण करना सीखाया. 

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