G20 शिखर सम्मेलन में भारतीय संगीत परंपराओं का अनूठा प्रदर्शन देख मंत्रमुग्ध हुए विदेशी मेहमान, देखें तस्वीरें

9 सिंतबर को शुरू हुए इस जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन का आज दूसरा दिन है. पहले दिन भारत की राष्ट्रपति की तरफ से सभी मेहमानों के लिए डिनर आयोजित किया गया. लजीज व्यंजनों को परोसने के साथ ही पूरे माहौल को संगीतमय बनाने के लिए सुरों की महफिल सजी.

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G20 Summit 2023: दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसका आज (10 सिंतबर) दूसरा दिन है. 9 सिंतबर को शुरू हुए इस सम्मेलन के पहले दिन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से सभी मेहमानों के लिए डिनर आयोजित किया गया. राष्ट्रपति द्वारा आयोजित भव्य रात्रिभोज में दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और मंत्रियों के अलावा ब्यूरोक्रेट्स, बिजनेसमैन और अन्य हस्तियां शामिल हुईं. लजीज व्यंजनों को परोसने के साथ ही पूरे माहौल को संगीतमय बनाने के लिए सुरों की महफिल सजी. रात्रिभोज कार्यक्रम में भारत ने दुनिया के सामने अपनी विविध संगीत विरासत का प्रदर्शन किया.

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भारत ने मेहमाननवाजी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. इस बीच पूरे देश के पारंपरिक संगीतों के सुर (unique musical) सुनाई दिए, जिसे सुनकर विदेशी मेहमान मंत्रमुग्ध हो उठे.  इस पारंपरिक संगीत कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण 'गंधर्व अटोद्यम' (Gandharva Atodyam) था. यह एक अद्वितीय संगीतमय मिश्रण है जिसमें पूरे भारत के संगीत वाद्ययंत्रों (musical instruments) की एक उत्कृष्ट सिम्फनी शामिल है, जो शास्त्रीय वाद्ययंत्रों के समूह के साथ हिंदुस्तानी (Bharat), कर्नाटक (Carnatic), लोक और समकालीन संगीत (Folk and Contemporary music) का प्रदर्शन करती है.

रात्रिभोज कार्यक्रम के दौरान आयोजित किए गए इस पारंपरिक संगीत कार्यक्रम में पूरे देश के अलग-अलग सांस्कृतिक विरासत और विविधता को प्रदर्शित करने वाले गानों को गाया गया, जिसमें हिंदुस्तानी संगीत: राग दरबारी कांदा और काफ़ी-खेलत होरी.
लोक संगीत: राजस्थान – केसरिया बालम, घूमर और निम्बुरा निम्बुरा.
कर्नाटक संगीत: राग मोहनम – स्वागतम कृष्ण.
लोक संगीत: कश्मीर, सिक्किम और मेघालय – बोम्रू बोम्रू.
हिंदुस्तानी संगीत: राग देश और एकला चलो रे.
लोक संगीत: महाराष्ट्र – अबीर गुलाल (अभंग), रेशमा चारे घानी (लावनी), गजर (वारकरी).
कर्नाटक संगीत: राग मध्यमावती – लक्ष्मी बरम्मा.
लोक संगीत: गुजरात- मोरबानी और रामदेव पीयर हेलो.
पारंपरिक और भक्ति संगीत: पश्चिम बंगाल – भटियाली और अच्युतम केशवम (भजन).
लोक संगीत: कर्नाटक – मदु मेकम कन्नै, कावेरी चिंदु और आद पम्बे.
भक्ति संगीत: श्री राम चंद्र कृपालु, वैष्णव जन और रघुपति राघव.
हिंदुस्तानी, कर्नाटक और लोक संगीत: राग भैरवी- दादरा, मिले सुर मेरा तुम्हारा. 

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कार्यक्रम के दौरान संगीत व्यवस्था में बेमिसाल हमारी संगीत विरासत को प्रदर्शित करने वाले विभिन्न दुर्लभ वाद्ययंत्रों (unique musical heritage) को शामिल किया गया. इन वाद्ययंत्रों में सुरसिंगार (Sursingar), मोहन वीणा (Mohan Veena), जलतरंग (Jaltarang), जोडिया पावा (Jodiya Pawa), धंगाली (Dhangali), दिलरुबा (Dilruba), सारंगी (Sarangi), कमाइचा (Kamaicha), मट्टा कोकिला वीणा (Matta Kokila Veena), नलतरंग (Naltarang), तुंगबुक (Tungbuk), पखावज (Pakhawaj), रबाब (Rabab), रावणहत्था (Ravanhattha), थाल दाना (Thal Dana), रुद्र वीणा (Rudra Veena) शामिल हैं.

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