वैज्ञानिकों ने खोज निकाला सेंटा क्लॉज का असली चेहरा, 1700 साल पहले कुछ ऐसे दिखते थे बच्चों को गिफ्ट बांटने वाले सेंटा

वैज्ञानिकों ने मायरा के संत निकोलस का चेहरा उजागर किया है, जो वास्तविक जीवन के बिशप थे, जिन्होंने आधुनिक समय के सांता क्लॉज़ की कॉन्सेप्ट को प्रेरित किया.

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कुछ ऐसा था सांता क्लॉज़ का चेहरा

क्रिसमस आने के पहले वैज्ञानिकों ने लोगों को एक बड़ा तोहफा दिया है. अगर आपके दिमाग में भी ये सवाल रहता है कि आखिर क्रिसमस पर तोहफे बांटने वाले सेंटा कैसे दिखते हैं तो इसका जवाब खोज निकाला गया है. वैज्ञानिकों ने मायरा के संत निकोलस का चेहरा उजागर किया है, जो वास्तविक जीवन के बिशप थे, जिन्होंने आधुनिक समय के सांता क्लॉज़ की कॉन्सेप्ट को प्रेरित किया.

न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, संत की मृत्यु के 1,700 साल बाद यह अभूतपूर्व पुनर्निर्माण संभव हुआ है और यह उनकी स्कल से डेटा का विश्लेषण करके संभव हुआ है. उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने मायरा के संत निकोलस के चेहरे को "फोरेंसिक रूप से फिर से बनाने" में कामयाबी हासिल की, जिनके उपहार देने के शौक ने फादर क्रिसमस की किंवदंती को प्रेरित किया.

अध्ययन के प्रमुख लेखक, सिसेरो मोरेस द्वारा इंस्टाग्राम पर शेयर की गई छवियों में, संत को एक चौड़े माथे, पतले होंठों और गोल नाक के साथ दर्शाया गया है. आउटलेट के अनुसार, मोरेस ने कहा कि 3D इमेजेस से पता चलता है कि उनका चेहरा स्ट्रॉन्ग और जेंटल दोनों था.

नीचे दी गई इमेजेस पर एक नज़र डालें:

मायरा के संत निकोलस की मृत्यु 343 ईस्वी में हुई थी - इससे बहुत पहले कि कोई भी उनकी तस्वीर खींच पाता. उन्हें केवल अच्छे व्यवहार वाले बच्चों को गिफ्ट्स देने और सिंटरक्लास के डच लोक चरित्र को प्रेरित करने के लिए जाना जाता था. समय के साथ, यह चरित्र अंग्रेजी फादर क्रिसमस के साथ मिलकर आज के सांता क्लॉज़ बन गया.

संत की लोकप्रियता के बावजूद, अब तक उनका कोई सटीक चित्रण नहीं किया गया था. मोरेस ने कहा कि 3D इमेज साहित्य में सांता क्लॉज़ के शुरुआती वर्णनों से मेल खाती हैं, जैसे कि 1823 की कविता "ट्वाज़ द नाईट बिफोर क्रिसमस", जिसमें उनके "गुलाबी गाल", "चौड़ा चेहरा" और "चेरी जैसी नाक" का वर्णन किया गया है.

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