बॉटनी के साइंटिस्ट ने भारत की प्राचीन मान्यताओं कि पेड़-पौधों में भी जान होती है का नया सबूत इकट्ठा किया है. सर जगदीश चंद्र बसु के सिद्धांतों को मजबूत करते हुए वैज्ञानिकों ने पहली बार उखाड़े जाने या कटाई के समय पौधों की "चीखने या कराहने" की आवाज को रिकॉर्ड कर लिया है. हालांकि, यह साउंड मनुष्यों द्वारा बनाई गई आवाज़ के समान नहीं है, बल्कि इंसानों की सुनने की सीमा के बाहर अल्ट्रासोनिक फ्रीक्वेंसी में एक पॉपिंग या क्लिकिंग शोर है.
इज़राइल में तेल अवीव यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने हाल ही में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट में कहा कि जब पौधा तनावग्रस्त हो जाता है तो साउंड बढ़ जाता है. इसमें कहा गया है कि यह उन तरीकों में से एक हो सकता है जिसका उपयोग पौधे अपने संकट को अपने आसपास की दुनिया तक पहुंचाने के लिए करते हैं.
इंसान नहीं, पर कई जानवर सुन पाते हैं पौधों की आवाज
यूनिवर्सिटी के इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट लिलाच हेडनी ने साइंस डायरेक्ट को 2023 की इस अहम स्टडी के बारे में कहा, "यहां तक कि एक शांत क्षेत्र में भी, वास्तव में ऐसी ध्वनियां होती हैं जिन्हें हम नहीं सुनते हैं, और वे ध्वनियां जानकारियों की आवाजाही करती हैं. ऐसे जानवर हैं जो इन ध्वनियों को सुन सकते हैं, इसलिए संभावना है कि इनके जरिए बहुत सारी बातचीत हो रही है."
उन्होंने आगे कहा, "पौधे हर समय कीड़ों और अन्य जानवरों के साथ बातचीत करते हैं और इनमें से कई जीव कम्युनिकेशंस के लिए साउंड का उपयोग करते हैं. इसलिए पौधों के लिए ध्वनि का बिल्कुल भी उपयोग न करना बहुत अनुकूल नहीं होगा."
तनाव के वक्त पौधों में आते हैं नाटकीय बदलाव
जब पैड़- पौधे तनाव में होते हैं तब उनमें कुछ नाटकीय बदलाव आते हैं. इस समय वे अपना रंग और आकार भी बदल सकते हैं. कुछ शक्तिशाली सुगंध पैदा करना भी इनमें से एक है. लेकिन हेडनी और उनकी टीम यह पता लगाना चाहती थी कि पौधे भी साउंड पैदा करते हैं. यह पता लगाने के लिए उन्होंने टमाटर और तम्बाकू के पौधों को तनावग्रस्त और अस्थिर दोनों हालत में रिकॉर्ड किया. संकटग्रस्त की उनकी परिभाषा में वे पौधे शामिल थे जिनके तने कटे या टूटे हुए थे या पौधे उखाड़े जा रहे थे. फिर वैज्ञानिकों ने बिना तनाव वाले पौधों, कटे हुए पौधों और उखड़े हुए पौधों से पैदा ध्वनियों के बीच अंतर करने के लिए एक मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया.
बिना तनाव वाले पौधे बिल्कुल भी ज्यादा शोर नहीं करते
साइंस अलर्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि साइंटिस्ट की टीम ने पाया कि मुसीबत के समय पौधे की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि इंसान समझ नहीं सकता था. लेकिन एक मीटर से अधिक के दायरे में इसका पता लगाया जा सकता था. हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि पौधे शोर कैसे उत्पन्न करते हैं. इस बीच, उन्होंने पाया कि बिना तनाव वाले पौधे बिल्कुल भी ज्यादा शोर नहीं करते हैं.
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