50 साल बाद पहली बार सूरज की रोशनी देख पाया कछुआ, न्यू जर्सी के घर में था बंद, हालत देख लोगों के फूट पड़े आंसू

Turtle Rescue Story: रॉकलीना नाम की एक टर्टल ने लगभग 50 सालों के बाद पहली बार सूरज की रौशनी देखी. इस पल ने सोशल मीडिया पर लाखों लोगों को इमोशनल कर दिया.

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डिहाइड्रेशन, मुड़े हुए पैर: लंबे समय से एक घर में कैद कछुए ने 50 साल में पहली बार देखी सूरज की रोशनी, देख इमोशनल हुए लोग

Heartwarming Animal Story: एक कछुए की ऐसी कहानी जो न सिर्फ दिल छू लेने वाली है, बल्कि हमें यह भी याद दिलाती है कि जानवरों की भी आज़ादी मायने रखती है. अमेरिका के न्यू जर्सी में एक पूर्वी बॉक्स टर्टल (Eastern Box Turtle) जिसका नाम रॉकलीना (Rockalina) है, ने लगभग 50 सालों के बाद पहली बार सूरज की रौशनी देखी. इस पल ने सोशल मीडिया पर लाखों लोगों को इमोशनल कर दिया.

बताया जा रहा है कि, रॉकलीना को 1977 में एक छोटे बच्चे ने जंगल से पकड़ लिया था. इसके बाद से वह कछुआ न्यू जर्सी के एक घर में रसोई के फर्श पर बंद जिंदगी जी रही थी. उसे सालों तक कैट फूड (बिल्ली का खाना) खिलाया गया, जिसकी वजह से उसकी सेहत पर बुरा असर पड़ा.

कैसी थी हालत? (viral turtle video)

रेस्क्यू करने वाली टीम Garden State Tortoise ने बताया कि, जब रॉकलीना (कछुए ) को उनके पास लाया गया, तो वह गंभीर निर्जलीकरण (dehydration), टेढ़े पंजे, पीठ की विकृति और पिछले पैरों में सड़न (necrosis) जैसी कई समस्याओं से जूझ रही थी, लेकिन अब इलाज और देखभाल के बाद रॉकलीना धीरे-धीरे ठीक हो रही है. वह अब असली कछुए जैसा व्यवहार करने लगी है...मिट्टी में खुदाई करना सीख रही है और असली कीड़े खा रही है. यह उसके लिए नई ज़िंदगी की शुरुआत है.

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सोशल मीडिया रिएक्शन (eastern box turtle)

सोशल मीडिया यूज़र्स इस कहानी से काफी भावुक हो गए. एक यूज़र ने लिखा, "यह सोचकर ही दिल टूट जाता है कि यह कछुआ 50 सालों तक बिना सूरज की रौशनी के जिया." एक अन्य ने लिखा, "जब उसने असली कीड़ा खाया और उसकी आंखों में खुशी देखी...वो मुस्कान असली थी." एक और यूज़र ने टिप्पणी की, "कैसे कोई कछुआ बिना सूरज के आधी सदी तक जीवित रह सकता है? उनकी जीवटता वाकई चौंकाने वाली है."

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अब आगे क्या? (Garden State Tortoise)

हालांकि, रॉकलीना अब जंगल में वापस नहीं जा सकती और न ही अन्य कछुओं के साथ रह सकती है, लेकिन वह एक सुरक्षित और प्यार भरे वातावरण में जी रही है, जहां उसे सूरज की रौशनी, असली खाना और ज़मीन मिल रही है. रॉकलीना की यह कहानी न सिर्फ एक कछुए के संघर्ष की दास्तान है, बल्कि एक प्रेरणा है कि अगर हमें मौका मिले, तो हम किसी की ज़िंदगी बदल सकते हैं, चाहे वह इंसान हो या जानवर.

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