ओलंपिक (Olympic) में मेडल (medals) तो हम चाहते हैं, मगर सरकार खिलाड़ियों के प्रति बेहद ही लापरवाह दिखती है. इसका उदाहरण बॉक्स रितु (Boxer Ritu) हैं. देखा जाए तो भारत ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में अब तक 5 मेडल अपने नाम कर लिए हैं. ये संख्या और भी बढ़ सकती है, मगर खिलाड़ियों के पास सुविधा की कमी के कारण ये संख्या नहीं बढ़ी है. बॉक्सर रितु की कहानी मर्मस्पर्शी है. वो अपने पिता और घर चलाने के लिए पार्किंग (Parking) की पर्चियां काटती हैं. जिस हाथ में बॉक्सिंग के ग्लव्स होने चाहिए थे, उस हाथ में पर्चियां हैं. ऐसे कैसे बढ़ेगा इंडिया?
न्यूज एजेंसी ANI ने सोशल मीडिया पर बॉक्सर रितु की कुछ तस्वीरें साझा की है. ये सभी तस्वीरें चंडीगढ़ की हैं. इन तस्वीरों में बॉक्सर रितु पार्किंग की पर्चिंयां काट रही हैं. ऐसे में उनका मनोबल बहुत ही गिर गया है.
अपनी स्थिति पर बॉक्सर रितु बताती हैं कि उनको अपने घर का खर्च चलाने के लिए यह काम करना पड़ रहा है. उनके पिता बीमार चल रहे हैं, ऐसे में घर चलाने के लिए उन्हें अपने गेम को छोड़ना पड़ गया. वैसे रितु को तो अपना गेम छोड़ना पड़ा, लेकिन अभावों के बावजूद ओलिंपिक तक पहुंचे कई खिलाड़ियों की घरेलू हालत भी बहुत ठीक नहीं है.
बॉक्सर रितु एएनआई को बताती हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई मैच खेली हैं. मैच में कई मेडल्स भी अपने नाम किया है, मगर कोई भी सरकारी संस्थान सपोर्ट नहीं किया. ना ही किसी संस्थान की तरफ से कोई स्कॉलरशिप मिली. रितु की खबर आने के बाद सोशल मीडिया में इनके समर्थन में कई लोग आए. @Abhijee25876162
नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा- अगर ओलंपिक में गोल्ड मेडल चाहिए तो खिलाड़ियों की कद्र करना सीखो.
@Sachin_Taxman नाम के ट्विटर यूज़र ने खेलमंत्री अनुराग ठाकुर को टैग करते हुए लिखा है कि सरकार को खेल और खिलाड़ियों के प्रति ईमानदार होना चाहिए. क्रिकेट के अलावा भी बहुत ऐसे गेम हैं, जिन्हें सरकार को सपोर्ट करने की ज़रूरत है.
वाकई में सरकार को हमारे खिलाड़ियों को सपोर्ट करना चाहिए ताकि मज़बूरी में रितु की तरह अपना गेम नहीं छोड़ना न पड़े.