पुणे में रहने वाले एक 25 वर्षीय शख्स ने सैनिटरी पैड (sanitary napkins) को नष्ट करने के लिए रिसाइक्लिंग मशीन (recycling machine) बनायी है. उनका नाम अजिंक्य दहिया है, उन्होंने बताया कि इस मशीन को बनाने का विचार मुझे कॉलेज के अंतिम वर्ष में आया. इस मशीन से 10 घंटों में 1,500 पैड्स को रिसाइकिल किया जा सकता है. मेरा लक्ष्य महिलाओं को स्थायी रूप से शौचालय स्वच्छता समाधान उपलब्ध करवाना है. पैडकेयर लैब मशीन इस्तेमाल किए गए सैनिटरी नैपकिन से प्लास्टिक और सेलूलोज़ नाली को अलग करती है और उसके बाद रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
दहिया ने बताया, कि इसके लिए शौचालयों में विशेष रूप से डस्टबिन लगाये जाते हैं. इसमें 45 दिन तक नैपकीन एकत्रित किये जाते हैं. शौचालयों में लगाये गए इन खास डस्टबिन को 'सैनिबिंस' कहते हैं. जो 30 से 45 दिनों के लिए उपयोग किए गए सैनिटरी नैपकिन को स्टोर करने के लिए लगाए गए हैं. ये डस्टबिन पूरी तरह से कीटाणु रहित हैं और इनमें किसी प्रकार की गंध भी पैदा नहीं होती है.
अजिंक्य और उनकी टीम द्वारा हाल ही में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 12 बिलियन उपयोग किए जाने वाले सैनिटरी नैपकिन उत्पन्न होते हैं, जिनमें से 98 प्रतिशत का निपटारा या तो लैंडफिल या जल निकायों द्वारा किया जाता है, जो पर्यावरण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं.