राजस्थान (Rajasthan) का जब भी नाम सुनते हैं, तो मन में रेगिस्तान का ख़्याल आता है. मगर कुछ लोगों की मेहनत और हिम्मत के आगे राजस्थान को हरा-भरा किया जा रहा है. अभी हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने राष्ट्रपति भवन में हिम्मतराम नाम के एक शख्स को पद्मश्री (Padma Shree) से सम्मानित किया. हिम्मतराम भारत के एक रत्न हैं. इन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी पर्यावरण को समर्पित कर दिया. पर्यावरण प्रेमी हिम्मतराम अपनी मेहनत और लगन से राजस्थान को हरा-भरा कर रहे हैं. इनकी कहानी काफी प्रेरणादायी है.
राजस्थान को हरा-भरा बना चुके हैं
हिम्मतराम आज देश के सामने एक मिसाल हैं. अपने निस्वार्थ भाव से पर्यावरण संरक्षण के लिए पद्मश्री प्राप्त करने वाले किसान और पर्यावरण प्रेमी हिम्मतराम प्रदेश के नागौर जिले से संबंध रखते हैं. वर्तमान में इनकी उम्र 65 साल है. अभी तक इन्होंने रेगिस्तानी इलाकों में लाखों पेड़ लगाए हैं. इनकी मेहनत और लगन से लोग प्रेरणा ले रहे हैं. हिम्मतराम अपनी इस मुहिम को जारी रखने के लिए वर्षों से राजस्थान के अपने गृह जिले नागौर में बसे हैं. उन्होंने जब स्कूल की पढ़ाई छोड़ी तो मेकेनिक का काम किया. उन्होंने पौधा रोपण की शुरुआत एक छोटा पीपल का पौधा लगा कर किया. इसके बाद अन्य पौधे लगाने में जुट गए. उनका ये शौक धीरे धीरे उनके लिए जुनून बनता गया. पौध लगाने और जानवरों की सेवा करने के लिए आज हिम्मतराम को पूरा राजस्थान सम्मान देता है.
पशु पक्षियों को हर रोज खिलाते हैं दाना
लाखों पेड़ लगाने के बावजूद हिम्मतराम पशु-पक्षियों की सेवा करते हैं. हिम्मतराम रोजाना करीब 1000 पक्षियों और जानवरों को 20 किलो दाना खिलाते हैं. उनकी कहानी लोगों के लिए प्रेरणा हैं. लोग उन्हें पर्यावरण पुत्र भी कहते हैं.