पाकिस्तानी सैनिकों ने गोलियों से शरीर छलनी कर दिया, दर्द को दोस्त बनाकर जवान ने दोस्तों की जान बचाई

कारगिल के युद्ध में सैकड़ों जवानों ने जान देकर ये जीत दिलाई और जो जी गए वो भी ऐसे जिए कि उनकी शौर्य की कहानी आज भी रोंगटे खड़े कर देती है.

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पाकिस्तान के मंसूबों को ध्वस्त कर कारगिल की ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराने का गौरव हासिल है भारतीय सेना को, जिसके पराक्रम के आगे पहाड़ों की बुलंदियों पर बैठा दुश्मन देश भी उल्टे पैर भागने पर मजबूर हो गया. लेकिन ये फतह देश की सेना को यूं ही हासिल नहीं हुई. सैकड़ों जवानों ने जान देकर ये जीत दिलाई और जो जी गए वो भी ऐसे जिए कि उनकी शौर्य की कहानी आज भी रोंगटे खड़े कर देती है. देश के ऐसे ही एक वीर सिपाही हैं कैप्टन योगेंद्र सिंह, जिनकी कहानी सुनकर आप भी उन्हें सलाम करने पर मजबूर हो जाएंगे.

दुश्मन ने दागी 15 गोलियां

एडवोकेट आदित्य आनंद ने केबीसी की एक क्लिप अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की है, जिसमें कैप्टन योगेंद्र सिंह नजर आ रहे हैं. जिनके साहस के लिए उन्हें सर्वोच्च आर्मी सम्मान परम वीर चक्र दिया जा चुका है. कैप्टन उन आर्मी मैन में से एक हैं जिन्हें दुश्मन ने पूरी 15 गोलियां दाग दी थीं. ये 1999 में हुए कारगिल युद्ध की बात है. जब वो दुश्मन से मुकाबला कर रहे थे. उस वक्त पाकिस्तान की आर्मी उनके बहुत नजदीक पहुंच चुकी थी और एक-एक सैनिक को बार-बार गोलियां मार रही थी. कैप्टन ने बताया कि पाकिस्तानी सैनिक उनकी तरफ आते और वो जिंदा है या नहीं ये जानने के लिए उन पर गोलियां बरसा देते. उन पर भी दुश्मन ने 15 गोलियां बरसाईं. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.

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जख्मी हालत में चलाया हैंड ग्रेनेड

कैप्टन योगेंद्र सिंह ने हिम्मत नहीं हारी जख्मी हालत में ही दुश्मन की तरफ हैंड ग्रेनेड फेंका और उन्हीं की बंदूक से गोलियां बरसाई. इसके बाद वो लढ़कते हुए अपने कैंप तक पहुंचे. जहां उनसे पूछा गया कि सेना के जवानों को किस चीज की जरूरत थी. तब उन्होंने खाने की जगह बंदूक की गोलियों का नाम लिया जिनकी मदद से दुश्मन को खत्म किया जा सके. इस दिलेरी के बाद उनका लंबा इलाज चला. उनके शरीर से एक एक गोली निकाली गई. इस युद्ध के बाद उन्हें ठीक होने में सालों गुजर गए. लेकिन खुशी इस बात है कि वह दुश्मन के हाथ नहीं लगा.

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