आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है. आज ही के दिन पंचायती राज कानून को संवैधानिक दर्जा मिला था. इस अवसर पर हम बात करते हैं संजय कुमार की, जो पंचायतों को उसके पुराने रूप में वापस लेने का कार्य करने के साथ ही युवाओं को नशे से बचाने के लिए भी अभियान चला रहे हैं. संजय कुमार का जम्मू में पंचायतों को लेकर चलाया गया जागरूकता अभियान चर्चा में रहा है. इसे वह कई साल से चला रहे हैं। वह पहली बार तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने पंचायत चुनावों के बहिष्कार के समय वहां के लोगों को चुनाव में शामिल होने के लिए विशेष मुहिम चलाई थी.
कई दलों ने जम्मू में विगत पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया किया था. उस समय संजय ने पंचायतों में एक जन जागरण अभियान चलाया और निचले स्तर की सरकार को बनाने के लिए जुड़ने की अपील की थी. जम्मू के ढेर सारे गांवों के दौरे कर लोगों को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. इस अभियान का असर यह रहा कि 1011 सरपंच चुनकर आए. चुनाव में शामिल होने का संदेश लेकर वे गांव-गांव गए, इससे वोटिंग प्रतिशत भी काफी बढ़ा था.
नशा समाज के लिए गंभीर और घातक है. इसे मिटाकर नई पीढ़ी को बचाया जा सकता है. इस बुराई को जम्मू-कश्मीर से मिटाने के लिए उन्होंने जम्मू को कर्म स्थली बनाई और इसके लिए पूरे कश्मीर में कार्य करने की रणनीति बनाई. नशा रोकने के लिए यूथ फॉर ट्रांसफॉर्मेशन के बैनर तले वह कई जन जागरूकता अभियान चला रहे हैं. नशा उन्मूलन की इस मुहिम को संजय कुमार ने जम्मू की पंचायतों से शुरू किया था, जो अब पूरे प्रदेश में फैल चुकी है. उनका कहना है कि जिस धरती पर नशा फैल रहा, वह धरती स्वर्ग कहां से कहलाएगा ? स्वर्ग में नशा होता है क्या ? सच कहें तो इस नशे ने जम्मू-कश्मीर को नर्क बनाने का कार्य किया है.