Karishma Mehta का ये पुराना वीडियो जमकर हो रहा वायरल, जानिए क्यों सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोल

वहीं अब करिश्मा मेहता का अपने ऑर्गनाइजेशन के बारे में बात करते हुए एक पुराना वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया है. वीडियो में वह बता रही हैं कि उन्हें ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ का विचार कैसे आया.

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ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे की फाउंडर करिश्मा मेहता (Humans of Bombay founder Karishma Mehta) इस समय स्टोरीटेलिंग प्लेटफार्म (storytelling platform) पीपल ऑफ इंडिया (People of India (POI)) के खिलाफ किए गए अपने केस को लेकर चर्चा में हैं. उन्होंने पीओआई पर कंटेंट के कॉपीराइट (copyright) उल्लंघन को लेकर मामला दायर किया है. वहीं अब करिश्मा मेहता का अपने ऑर्गनाइजेशन के बारे में बात करते हुए एक पुराना वीडियो (old video) इंटरनेट पर वायरल हो गया है. वीडियो में वह बता रही हैं कि, उन्हें ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' (Humans of Bombay) का विचार कैसे आया.
 

वीडियो में करिश्मा मेहता कहती हैं कि, यह विचार अचानक आया और इसने उसे तुरंत प्रभावित किया. उन्होंने कहा, 'पूरी तरह से यादृच्छिक रूप से और अप्रत्याशित रूप से, मेरे मन में ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे का विचार आया और मैंने इसे शुरू किया और यह सफल हुआ. कुछ नया शुरू करने के लिए वह अवधि अपने आप में एक उच्च अवधि थी.' उन्होंने अपने 'संघर्षों' के बारे में भी बात की. उन्होंने खुलासा किया कि, कैसे ऑर्गनाइजेशन ने पहले तीन सालों तक कोई प्रॉफिट नहीं कमाया और वह अपने माता-पिता से मिलने वाली पॉकेट मनी पर निर्भर थीं.

यहां देखें पोस्ट

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ह्यूमन्स ऑफ न्यूयॉर्क (Humans of New York (HONY) के निर्माता ब्रैंडन स्टैंटन (Brandon Stanton) ने इसे लेकर एक्स पर पोस्ट किया, जिसके बाद मेहता की इंटरनेट पर आलोचना हो रही है. ब्रैंडन ने उल्लेख किया कि, कैसे ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे (Humans of Bombay (HOB)) ने कानूनी चुनौतियों का सामना किए बिना जाहिर तौर पर HONY से प्रेरणा ली थी. स्टैंटन ने अतीत में विनियोग को माफ करने की अपनी इच्छा का भी उल्लेख किया, लेकिन अन्य प्लेटफार्मों के खिलाफ मुकदमा दायर करने के निर्णय पर सवाल उठाया.

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पोस्ट किए जाने के बाद से वीडियो को एक्स पर लगभग 5 लाख बार देखा गया है. सोशल मीडिया यूजर्स ने मुकदमा करने के लिए करिश्मा मेहता की आलोचना की. वीडियो पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'अचानक से मैं बच्चों के किरदार बनाने के बारे में सोचता हूं, एक चूहा होगा और दूसरा बत्तख... शायद इसे डिकी और मोनाल्ड कह सकते हैं.' एक अन्य यूजर ने मजाक में कहा, 'हां.. मुझे लगता है कि मैंने अनु मलिक जी से भी ऐसा ही तर्क सुना है.' तीसरे यूजर ने लिखा, 'जब आप एक झूठ को सैकड़ों बार बोलते हैं, तो वह झूठ की श्रेणी में नहीं आता.'

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