दुनिया भर में बढ़ते COVID-19 मामलों के साथ, एक दूरस्थ द्वीप पर जाने का सपना देखना अजीब हो सकता है और अगर 'कैलासा' (Kailasa) - वह 'राष्ट्र' जो स्वयंभू धर्मगुरु नित्यानंद (Nithyananda) ने 2019 में स्थापित करने का दावा किया है – अगर आप वहां जाने की सोच रहे हैं, तो हमारे पास आपके लिए एक बुरी खबर है. एक बयान में, नित्यानंद ने घोषणा की है, कि भारत से भक्तों को अपने द्वीप में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देंगे. अपने जनादेश में, नित्यानंद ने कहा, कि यह सिर्फ भारतीयों के लिए ही नहीं, बल्कि ब्राजील, यूरोपीय संघ और मलेशिया के यात्रियों के लिए भी है, जिनके द्वीप में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह निर्णय दुनिया भर में बढ़ते COVID-19 मामलों को देखते हुए किया गया है.
नित्यानंद साल 2019 से इक्वाडोर के तट पर स्थित द्वीप पर छिपा हुआ है. वह यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद फरार हो गया था. तब से, नित्यानंद ने संयुक्त राष्ट्र से कैलासा को एक अलग देश घोषित करने की अपील की.
पिछले दिनों, नित्यानंद ने अपने हिंदू संप्रभु राष्ट्र 'के बारे में वीडियो और ट्वीट्स के साथ सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींच लिया था. अपने स्वयं के कैबिनेट और प्रधान मंत्री के अलावा, द्वीप के पास एक समर्पित वेबसाइट है. द्वीप के बारे में, वेबसाइट कहती है, "कैलासा दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा फैलाए गए सीमाओं के बिना एक राष्ट्र है, जिन्होंने अपने देशों में प्रामाणिक रूप से हिंदू धर्म का अभ्यास करने का अधिकार खो दिया है."
अगस्त 2020 में, नित्यानंद ने अपना स्वयं का 'रिज़र्व बैंक ऑफ़ कैलासा' भी लॉन्च किया. द्वीप की आधिकारिक मुद्रा को 'कैलाशियन डॉलर' घोषित किया गया था. बलात्कार का आरोपी खुद को कैलासा का 'सुप्रीम पोंटिफ' बताता है.