नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) पृथ्वी से अलग दूसरे ग्रहों को कैप्चर करने में एक के बाद एक नई सफलता हासिल कर रहा है. अब नासा ने मंगल ग्रह के आकाश में रंगीन बादलों का एक मनमोहक वीडियो शेयर किया है. ब्रह्मांड के एकमात्र लाल ग्रह (मंगल ग्रह) से इस नजारे को क्यूरियोसिटी रोवर ने कैद किया है. मंगल ग्रह के इस 16 मिनट के अद्भुत नजारे को क्यूरियोसिटी रोवर ने बीती 17 जनवरी 2025 को अपने मास्टर-कैम में कैद किया था. नासा के इस वीडियो में मंगल ग्रह में क्या-क्या दिखाई दिया और वहां का वातावरण कैसा है, साफ पता चल रहा है.
मंगल ग्रह पर पृथ्वी जैसा नजारा (Mars's Seasons like Earth)
नासा द्वारा मंगल ग्रह के इस कैप्चर्ड वीडियो में आप देखेंगे कि वातावरण भले ही थोड़ा अलग नजर आ रहा है, लेकिन मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी की तरह सीजनल मौसम नजर आ रहे हैं. नासा ने बताया है कि हमारे ग्रह के समान दिखने के बावजूद, मंगल ग्रह के बादलों में सूखी बर्फ या जमी हुई कार्बन डाइऑक्साइड नजर आती है. नासा के अनुसार, तस्वीरें चमकते बादलों के नये रूप को दिखाती हैं, जिन्हें रात के बादलों या फिर कहें 'रात की चमक' के रूप में भी जाना जाता है. सूरज ढलने के दौरान प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण बादल लाल और हरे रंग में बदल जाते हैं. अंतरिक्ष एजेंसी ने आगे बताया, कभी-कभी, वे रंगों की एक श्रृंखला बनाते हैं, जिन्हें इंद्रधनुषी या 'मदर ऑफ पर्ल' कहा जाता है. नासा ने बताया कि इन्हें दिन में नहीं देखा जा सकता, क्योंकि इनकी चमक केवल शाम को दिखाई पड़ती हैं, इसका कारण यह है कि शाम के दौरान बादल काफी ऊंचाई पर होते हैं.
किस चीज से बने हैं मंगल ग्रह के बादल (Mars's Clouds Made of ICE)
नासा ने यह भी बताया कि मंगल ग्रह के बादल या तो पानी की बर्फ या कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ से बने होते हैं. मंगल ग्रह के वायुमंडल का 95 फीसदी से अधिक हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड से बना है. एजेंसी ने कहा कि बढ़ते तापमान के कारण वाष्पित होने से पहले ये बादल सतह से लगभग 31 मील (50 किमी) की ऊंचाई पर उठते या बन सकते हैं. गौरतलब है कि टिमटिमाते या कड़कते बादलों को पहली बार 1997 में नासा के पाथफाइंडर मिशन द्वारा मंगल ग्रह पर देखा गया था. वहीं, क्यूरियोसिटी रोवर ने 2019 में बादलों में इंद्रधनुष की पहली तस्वीर अपने कैमरे में कैद की थी.
क्या बोले नासा एक्सपर्ट ? (Expert View on Mars)
बोल्डर के कोलोराडो में अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान के एक वायुमंडलीय वैज्ञानिक मार्क लेमन ने कहा, उनका मानना है कि ग्रह के कुछ क्षेत्रों में बादल बनने की अधिक संभावना है. उन्होंने आगे कहा, गुरुत्वाकर्षण तरंगें, जो किसी ग्रह के वातावरण को ठंडा करती हैं, इसका एक कारक यह भी हो सकती है. गौरतलब है कि क्यूरियोसिटी रोवर साल 2012 में मंगल ग्रह पर उतरा था. इसे मंगल ग्रह की जलवायु और भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने के लिए यहां की मिट्टी, चट्टानों और वातावरण का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था. इसे विशेष रूप से यह पता लगाने का काम सौंपा गया था कि क्या मंगल ग्रह पर कभी जीवन मौजूद था.