ऐसे समय में जब देश के कई हिस्सों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में भारी कमी बताई जा रही है, मुंबई (Mumbai) की मुफ्त ऑक्सीजन आपूर्ति (free oxygen supply) योजना कई लोगों का जीवन बदल रही है. शाहनवाज़ शेख (Shahnawaz Shaikh) ने ऑक्सीजन आपूर्ति योजना शुरू करने के लिए पिछले साल अपनी एसयूवी बेची थी जो आज भी कोरोनोवायरस महामारी से पीड़ित लोगों की जान बचाने बचा रहे हैं.
शहनवाज शेख अपने एकता और सम्मान फाउंडेशन (Unity & Dignity Foundation) के साथ -मलाड में मालवणी की संकीर्ण गलियों में एक नायक बन गए हैं. और सोशल मीडिया पर भी उनकी पहल की व्यापक रूप से प्रशंसा की जा रही है. उनकी कहानी पर पिछले साल लोगों का ध्यान गया जब उन्होंने अपनी फोर्ड एंडेवर बेच दी और उस पैसे का इस्तेमाल जरूरतमंद लोगों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने के लिए किया.
मुंबई में कोविड की स्थिति के बारे में बात करते हुए न्होंने NDTV को बताया, "पिछले साल जब हमने शुरुआत की थी, तब हमने 5,000 से 6,000 तक ऑक्सीजन सिलिंडर लोगों को मुहैया कराए. इस साल, शहर में ऑक्सीजन की कमी है. जहाँ पहले हमें 50 कॉल मिलते थे, अब हमें 500 से 600 मिलते हैं."
उन्होंने कहा, कि कोविड की पहली लहर के दौरान जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की उनकी पहल उन्होंने तब की जब उनके दोस्त के चचेरे भाई की कोविड -19 की वजह से मृत्यु हो गई. जब शहनवाज को पता चला कि समय पर ऑक्सीजन देकर लोगों की जान बचाई जा सकती है, तो उन्होंने कोविड रोगियों (Covid patients) के लिए दवाइयां और ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने के लिए अपनी एसयूवी बेच दी.
शेख की पहल ने उन्हें सोशल मीडिया पर बहुत प्रशंसा और सम्मान दिलाया है. आईएएस अवनीष शरण ने उनकी तारीफ की और लिखा- 'ह्यूज रिस्पेक्ट'
आईएफएस अधिकारी सुधा रमेन ने लिखा, "श्री शहनवाज़ शेख और उनकी टीम के लोग असली हीरो हैं."
शेख ने एनडीटीवी से कहा, "इससे पहले, हम पैसों की कमी के कारण ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे. मैंने सोचा कि मेरी एसयूवी फिर से खरीदी जा सकती हैं, जो अभी महत्वपूर्ण है वह दूसरों की मदद करना है, यही कारण है कि मैंने अपनी एसयूवी और कुछ अन्य चीजें बेचीं, और तभी हम दूसरों की मदद करने में सक्षम हुए."
गुरुवार को, भारत ने कोविड मामलों में दुनिया का सबसे बड़ा उछाल 3.14 लाख मामले और एक दिन में 2,000 से अधिक मौतें दर्ज किया गया. देश के कई हिस्से COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं.