शख्स का चौंकाने वाला दावा- मैं हूं असली मोगली, खूंखार बिल्लियों ने सिखाया बोलना

ब्राजील के एक शख्स का दावा है कि, वह असल जिंदगी का रियल मोगली है. असली मोगली होने का दावा कर रहे इस 53 साल के शख्स का नाम एल्सियो अल्वेस डो नैसिमेंटो बताया जा रहा है.

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गुलजार की कलम से लिखे गए एक गाने ने देश में ऐसी धूम मचाई दी थी, जो बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ गया था. दूरदर्शन के दिनों में आने वाले सीरियल जंगल बुक (Jungle Book) का टाइटल सांग 'चड्डी पहन के फूल खिला है' (Children Songs) जिसने भी सुना, उनका मुरीद हो गया. इस गाने में दिखाई देने वाला मोगली होने के दावा कर रहा एक शख्स इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, ब्राजील के एक शख्स का दावा है कि, वह असल जिंदगी का रियल मोगली है. शख्स ने अपनी आपबीती भी बताई कि, कैसे आठ साल की उम्र में एक झगड़े के बाद वह जंगल में भटक गया था, जिसके बाद तकरीबन तीन साल खूंखार जानवरों के बीच जिंदगी गुजारने को मजबूर हो गया.

असली मोगली होने का दावा कर रहे इस 53 साल के शख्स का नाम एल्सियो अल्वेस डो नैसिमेंटो बताया जा रहा है. शख्स के इस दावे ने इन दिनों इंटरनेट पर हर किसी को चौंका दिया है. यही वजह है कि, अब लोग शख्स की पूरी कहानी जानना चाहते हैं. शख्स की मानें तो वह रियल लाइफ मोगली है, जो कि कम उम्र में ही लापता होने के बाद जंगल में भटक गया था. शख्स ने बताया एक झगड़े की वजह से वह अपने मां-बाप से बिछड़ गया था और जगंल में कहीं भटक गया था. विस्तार में शख्स ने अपनी पूरी आपबीती बताई. शख्स ने बताया कि, साल 1978 में जब वह 8 साल का था, तब क्रिसमस के दिन एक खिलौने को लेकर उसका अपने भाई से झगड़ा हो गया था. बस इसी बात पर पिता ने जब उन्हें छड़ी से पीटा, तो वह बचने के लिए घर छोड़कर भाग गए, इस दौरान एक हादसे के बाद नदी में जा गिरे और तैरते हुए जंगल जा तक पहुंच गए.

डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लाख कोशिशों के बाद भी जब वह घर का रास्ता ढूंढने में नाकाम रहे, तो मजबूरी में उन्हें जंगल में ही रात गुजारनी पड़ी. इस बीच जंगल में ही उनका कई खूंखार जानवरों से आमना-सामना भी हुआ है. एल्सियो ने बताया कि, इन खूंखार जानवरों से बचने के लिए कभी वे किसी गुफा में छिप जाते थे, तो कभी पेड़ों पर चढ़कर खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश करते थे. कुछ समय में ही वे समझ चुके थे कि, अब जंगल ही उनक घर है. बारिश के दिनों में वो गुफाओं में छिपकर खुद को भींगने से बचाते थे. वहीं पेड़ों पर सोकर अपनी नींद पूरी करते थे. भूख मिटाने के लिए वे फल, नारियल, झींगे यहां तक कि सड़ी हुई लकड़ी के लार्वा को भी खाने से नहीं हिचकिचाते थे.

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एल्सियो ने दावा किया है कि, उन्होंने खूंखार बिल्लियों से बात करने का तरीका भी सीखा था. एल्सियो के मुताबिक, तीन साल के बाद एक किसान की नजर उन पर पड़ी, तब तक वे 11 साल के हो चुके थे. उनके खाने-पीने का ढंग बदल चुका था. यहां तक की आवाज कर्कश हो ही चुकी थी. फिलहाल वे बहिया स्टेट के बैक्सियो गांव में बतौर लाइफगार्ड काम करते हैं. शादी भी कर चुके हैं. यही नहीं उनके अब दो बेटी और चार पोता-पोती भी हैं.

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