घड़ियां ही घड़ियां, अनोखा घर जहां मौजूद है दुनिया भर की दुर्लभ घड़ियों का अनमोल खजाना

अनिल भल्ला को बचपन से ही घड़ियों का शौक था. अब उनका आलीशान घर दुनिया की नायाब घड़ियों को संजोए रखने के लिए म्यूजियम बन गया है. भल्ला की मानें तो घड़ियां सिर्फ समय ही नहीं गौरवशाली इतिहास को भी बयां करती हैं.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
इंदौर के 78 वर्षीय बुजुर्ग ने संजोए रखा है दुनियाभर की दुर्लभ घड़ियों का अनमोल खजाना

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में अनिल भल्ला (78) के घर में दाखिल होते ही कानों में दुनियाभर की दुर्लभ घड़ियों की अलग-अलग आवाजें गूंजने लगती हैं. प्राचीन घड़ियों को चलते देखकर ऐसा लगता है कि, हम किसी टाइम मशीन में बैठकर अतीत में पहुंच गए हों. अनिल भल्ला में दुर्लभ घड़ियों को सहेजने को लेकर गजब का जुनून है और वह भारत के साथ ही फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी में बनी 650 से ज्यादा घड़ियों के अनमोल खजाने के मालिक हैं.

अनिल भल्ला ने बताया कि, दुर्लभ घड़ियां सहेजने का शौक उन्हें उनके दादा हुकूमत राय भल्ला से विरासत में मिला, जो उच्च शिक्षा के लिए विदेश में रहने के दौरान वहां से कुछ घड़ियां स्वदेश ले आए थे. उन्होंने कहा, 'मैंने 16 साल की उम्र में जो पहली घड़ी खरीदी थी, वह एक 'एनिवर्सरी क्लॉक' थी, यानी इसमें सालभर में केवल एक बार चाबी भरनी पड़ती है. इसके बाद जब भी मेरे पास थोड़ा अतिरिक्त धन आता, मैं घड़ियां खरीद लेता.' अनिल भल्ला के खजाने में तरह-तरह की घड़ियां साल-दर-साल जमा होती रहीं. 

उन्होंने आगे बताया कि, लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स ने वर्ष 2013 में उनके नाम राष्ट्रीय कीर्तिमान का प्रमाण पत्र जारी किया था. प्रमाण पत्र के मुताबिक, अनिल भल्ला के दुर्लभ संग्रह की सबसे पुरानी घड़ी 10 फीट ऊंची 'ग्रैंडफादर क्लॉक' है, जिसका निर्माण वर्ष 1750 के दौरान फ्रांस में किया गया था. बहरहाल, भल्ला का दावा है कि उनके पास एक ऐसी घड़ी भी है, जो वर्ष 1700 के आस-पास बनाई गई थी.

Advertisement

उन्होंने बताया कि, उनके संग्रह की नायाब घड़ियों में इंग्लैंड में 1830 के दौरान लकड़ी के एक ही टुकड़े को तराशकर बनाई गई घड़ी शामिल है, जो दुनिया के 16 प्रमुख शहरों का वक्त अलग-अलग 'डायल' के जरिये एक साथ दर्शाती है. भल्ला ने अपना दुर्लभ संग्रह दिखाते हुए बताया कि, स्विट्जरलैंड में बनी एक घड़ी में चाबी भरने की जहमत नहीं उठानी पड़ती, तो एक अन्य घड़ी इतनी बड़ी है कि, इसमें चाबी भरने के लिए दो लोगों की जरूरत पड़ती है.

Advertisement

उनके पास जेब में रखी जाने वाली एक ऐसी दुर्लभ घड़ी भी है, जिसके 'डायल' पर इंजन के चित्र के साथ 'रेलवे टाइमकीपर' छपा है. इस विदेशी घड़ी के बारे में भल्ला का कहना है कि, यह रेलवे के कर्मचारियों के लिए खासतौर पर बनाई गई थी. भल्ला के अनुसार, उनके संग्रह में भारत में बनी एकमात्र घड़ी है 'वंदे मातरम.' उन्होंने बताया कि, करीब 65 साल पुरानी इस घड़ी का बाहरी आवरण शुद्ध तांबे का बना है और इस पर देवी-देवताओं के साथ ही महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं. अनिल भल्ला लंबे समय तक ऑटोमोबाइल कारोबार से जुड़े रहे हैं और इन दिनों वह दुर्लभ घड़ियों की देखभाल और उनकी मरम्मत में मसरूफ रहते हैं. 

Advertisement

उन्होंने कहा, 'मेरे संग्रह में ऐसी कई घड़ियां हैं, जो मैंने कबाड़ियों से बंद हालत में खरीदी थीं. मैंने दुनियाभर से इनके कल-पुर्जे जुटाकर इनकी मरम्मत की और इन्हें चालू किया.' भल्ला के मुताबिक, उनके संग्रह की 650 से ज्यादा घड़ियां चालू हालत में हैं, लेकिन इतनी घड़ियों की नियमित तौर पर चाबी भरना अकेले व्यक्ति के बस की बात नहीं है, इसलिए वह जरूरत पड़ने पर ही घड़ियों में चाबी भरते हैं. उन्होंने कहा, 'कुछ लोग बोलते हैं कि घर में बंद घड़ी होना अच्छा शगुन नहीं होता, लेकिन मैं इस बात पर भरोसा नहीं करता.'

Advertisement

ये भी देखें- Cannes Exclusive: अनुराग कश्यप ने कैनेडी प्रेप के लिए अनुष्का, रवीना की हंसी के सनी लियोन को दिए वीडियो

Featured Video Of The Day
Delhi Pollution के चलते GRAP 3 लागू, Online चलेंगे प्राइमरी स्कूल | Top 25 News