Infosys employee startup story: कहते हैं, अगर इरादा सच्चा हो तो किस्मत भी झुक जाती है. ऐसी ही कहानी है महाराष्ट्र के दादासाहेब भगत की. एक ऐसे शख्स की जिसने इंफोसिस में ऑफिस बॉय के रूप में शुरुआत की और आज सीईओ बनकर देशभर में मिसाल बन गया. कभी 4000 महीने की सैलरी पर काम करने वाला यह लड़का अब अपनी कंपनी 'Design Template' का मालिक है, वो भी इतनी सफलता के साथ कि उसकी शार्क टैंक इंडिया तक चर्चा पहुंच चुकी है.
सिर्फ 10वीं पास, लेकिन हौसला 100% (Dadasaheb Bhagat success story)
- दादासाहेब महाराष्ट्र के बीड जिले के एक छोटे से सूखाग्रस्त गांव से आते हैं.
- घर में पढ़ाई को प्राथमिकता नहीं थी, लेकिन उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई के बाद ITI कोर्स किया.
- बेहतर जिंदगी की तलाश में पुणे पहुंचे और 4000 रुपये महीने की नौकरी पकड़ी.
- फिर मिली इंफोसिस में ऑफिस बॉय की नौकरी...यही उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ.
कंप्यूटर साफ करते-करते सीखा डिजाइन बनाना (Infosys employee startup story)
ऑफिस में वह रोज कंप्यूटर साफ करते थे और वहीं लोगों को कंप्यूटर पर काम करते देखकर एक सपना देखा, 'कभी मैं भी ऐसे काम करूंगा.' उन्होंने अपने पुराने चित्रकारी के शौक को फिर से जिंदा किया और दिन में नौकरी के साथ रात में ग्राफिक डिजाइन (Inspirational startup stories India) सीखना शुरू कर दिया. एक साल बाद, वही ऑफिस बॉय खुद डिजाइनर बन चुका था.
गांव से शुरू हुआ 'Design Template' का सफर (From office boy to entrepreneur)
- कोविड महामारी में उन्हें पुणे छोड़कर गांव लौटना पड़ा, लेकिन वहीं से उन्होंने अपनी किस्मत पलट दी.
- उन्होंने पहाड़ी के पास एक छोटा ऑफिस बनाकर 'Design Template' स्टार्टअप की शुरुआत की.
- यहीं से बनी एक ऐसी कंपनी जो अब कैनवा जैसे इंटरनेशनल डिजाइन प्लेटफॉर्म्स को टक्कर दे रही है.
- उनकी मेहनत और जज़्बे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान भी खींचा...पीएम ने 'मेक इन इंडिया' के तहत उनकी सराहना की.
शार्क टैंक तक पहुंची सफलता (Shark Tank India Dadasaheb Bhagat)
जब दादासाहेब शार्क टैंक इंडिया में पहुंचे, तो उन्होंने boAt के अमन गुप्ता के साथ 1 करोड़ में 10% इक्विटी का सौदा किया. आज उनकी कंपनी हजारों डिजाइनर्स को प्लेटफॉर्म दे रही है और भारत को डिजिटल डिजाइन में आत्मनिर्भर बना रही है.
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