अगर नाराज़ न हों फूफा, पंडित जी मंडप में न करें झगड़ा, तो अधूरी सी लगती हैं शादियां, ये मीम्स देख नहीं रोक पाएंगे हंसी

इस हफ्ते की शुरुआत में, लोगों ने उन उदाहरणों के बारे में ट्वीट करना शुरू कर दिया जिनके बिना भारतीय शादियां अधूरी हैं.

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इन चीजों के बिना अधूरी हैं भारतीय शादियां

शादी एक ऐसा समारोह या फंक्शन है, जिसमें घर-परिवार, रिश्तेदार और सोसाइटी के बहुत से लोग शामिल होते हैं. लोग ज्यादा होते हैं इस वजह से शादी के खर्चे भी बहुत ज्यादा होते हैं. अमीर हो या गरीब हर कोई अपनी क्षमता के हिसाब से शादी का इंतज़ाम करता है. लेकिन, इन सब चीजों के बावजूद बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो अगर किसी शादी में ना हो तो शादी अधूरी सी लगती है या फिर आप ये भी कह सकते हैं कि शादी का मज़ा भी अधूरा सा रह जाता है. हम जिन चीजों की बात करने जा रहे हैं, वो चीजें हर भारतीय शादी (Indian weddings) में जरूरी सी लगती हैं. कहने का मतलब ये हैं कि शादी में चाहे जितना भी खर्च कर दिया जाए. लेकिन छोटी-छोटी सी कुछ चीजें जो जरूरी तो नहीं लेकिन फिर भी बहुत जरूरी होती हैं एक भारतीय शादी में और ढेरों के इंतज़ाम के बाद भी लोगों को लगता है कि शादी में तो मज़ा ही नहीं आया.

इस हफ्ते की शुरुआत में, लोगों ने उन उदाहरणों के बारे में ट्वीट करना शुरू कर दिया जिनके बिना भारतीय शादियां अधूरी हैं. हालांकि यह पता नहीं कि यह ट्रेंड किससे शुरू हुआ, एक दिन पहले ही ट्विटर मजाकिया वन-लाइनर्स और मीम्स से भरा हुआ था जो शादी समारोहों के दौरान होने वाले छोटे और बड़े मामलों की ओर इशारा करते हैं.

शादियों के दौरान रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच होने वाले मजाक और गपशप के बारे में बात करते हुए, एक ट्विटर यूजर ने लिखा, "भारतीय शादियां अधूरी हैं, जब तक कोई शख्स खाने / दुल्हन की ड्रेस / मेकअप / दूल्हे की नौकरी के बारे में बुरा न बोले".

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दूसरे ट्विटर यूजर ने फोटोग्राफर के साथ शादी के कई मेहमानों के असहज अनुभव को बताया और ट्वीट किया, "शादियां अधूरी हैं जब तक कैमरामैन खाना खाते समय आपकी तस्वीरें क्लिक नहीं करता". इस ट्वीट का रिप्लाई करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'जब फोटोग्राफर वीडियो लेकर और हम पर रोशनी डाल कर पास आता है तो खाने का अंदाज ही बदल जाता है.

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दहेज प्रथा पर कमेंट करते हुए, एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “मानो या न मानो, भारतीय शादियाँ अभी भी दहेज (दहेज) के बिना अधूरी हैं और यहां तक ​​कि सबसे पढ़ा-लिखा वर्ग भी ज्यादातर मामलों में दहेज देता और लेता है."

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