600 Rs Bachane Ki Tips Viral Post: रोजाना 600 रुपये बचाएं, 20 पेज पढ़ें और 10 हजार कदम पैदल चलें जैसी छोटी आदतों के बड़े जादू पर हर्ष गोयनका के पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है. इंटरनेट यूजर्स ने गोयनका को देश की वित्तीय हकीकत और लोगों के आर्थिक संघर्ष के बारे में बताते हुए अपनी नाराजगी जताई. लोगों ने कहा कि, रोजाना 600 रुपये यानी महीने में 18000 रुपये बचाने का सुझाव भारत की बड़ी आबादी की हकीकत से वास्ता नहीं रखता है.
आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन गोयनका ने बुधवार को अच्छी आदतें डेवलप करने की प्रेरक सलाह दी, लेकिन उनका पोस्ट सोशल मीडिया के ज्यादातर यूजर्स को पसंद नहीं आया. गोयनका ने एक्स पर लंबे समय की सफलता के लिए छोटे-छोटे ही सही, मगर लगातार काम करने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को अच्छी आदतें बनाने के लिए रोजाना 600 रुपये बचाने, 20 पेज पढ़ने और 10 हजार कदम चलने का लक्ष्य रखना चाहिए. उन्होंने पोस्ट में लिखा, 'प्रतिदिन ₹600 की बचत = प्रति वर्ष ₹2,19,000. प्रतिदिन 20 पेज पढ़ना = प्रति वर्ष 30 किताबें. प्रतिदिन 10,000 कदम चलना = प्रति वर्ष 70 मैराथन. छोटी आदतों की शक्ति को कभी कम मत समझो."
सोशल मीडिया पर जल्दी ही उल्टी पड़ गई नेकनीयत सलाह
बचत, पढ़ने और टहलने जैसी छोटी-छोटी आदतें विकसित करने की अरबपति उद्योगपति की नेकनीयत सलाह सोशल मीडिया पर जल्दी ही उल्टी पड़ गई. कई लोगों ने उनके बयान को ''वित्तीय वास्तविकता से दूर'' और ''कम आय वाले परिवारों के संघर्षों से अलग-थलग'' करार दिया, उनका कहना है कि, बचत के गुण को बेहद अच्छी आदत मानने के बावजूद भारत में हकीकत यह है कि कई लोग अपना गुजारा तक कर पाने के लिए संघर्ष करने पर मजबूर हैं.
यहां देखें पोस्ट
भारत में न्यूनतम मजदूरी ही 500-600 रुपये रोजाना
एक यूजर ने कमेंट में लिखा, ''बाकी सब तो ठीक है, लेकिन मुझे बताइए कि एक आम नागरिक की दैनिक आमदनी कितनी है? क्या वह अपने दैनिक खर्चों के बाद रोजाना 600 रुपये बचा सकता है?'' दूसरे यूजर ने लिखा, ''यह शानदार सलाह है. मुझे समझाने का ये तरीका बहुत पसंद आया, लेकिन भारत में न्यूनतम मजदूरी ही 500-600 रुपये के बीच है. भारत में 81 करोड़ लोग मुफ़्त राशन पर जीते हैं, जिसका मतलब है कि वे न्यूनतम मजदूरी से भी कम कमाते हैं.'' तीसरे यूजर ने कमेंट किया, '' देश में आर्थिक असमानता अपने चरम पर है. जहां भारत के 76वें सबसे अमीर व्यक्ति पीढ़ी दर पीढ़ी की दौलत के कारण बाकी भारतीयों को भारत की औसत आमदनी से ज्यादा बचत करने की सलाह देते हैं.''
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