घाना के राष्ट्रपति को भारत ने दिया बिदरी कला का अनमोल तोहफा, कर्नाटक की विरासत की चमक पहुंची अफ्रीका

Indian traditional art gift: बिदरी वर्क को भारतीय धातु कला की सबसे प्रभावशाली परंपराओं में से एक माना जाता है. भारत और घाना के बीच मजबूत होते सांस्कृतिक संबंधों को और गहराते हुए, भारत ने घाना के राष्ट्रपति को एक बेहद खास तोहफा भेंट किया है.

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भारतीय धरोहर का विदेशी सम्मान, बिदर की बिदरी कला ने जीता घाना के राष्ट्रपति का दिल

Bidriware gift to Ghana President: भारत और घाना के बीच मजबूत होते सांस्कृतिक संबंधों को और गहराते हुए, भारत ने घाना के राष्ट्रपति को एक बेहद खास तोहफा भेंट किया है. कर्नाटक के बिदर से आई बिदरी धातु कला की एक सुंदर जोड़ी फूलदानों की. बिदरी वर्क को भारतीय धातु कला की सबसे प्रभावशाली परंपराओं में से एक माना जाता है. इसकी खासियत है इसका गहरा काला रंग और उस पर की गई महीन चांदी की नक्काशी. इस खास जोड़ी फूलदान को कुशल कारीगरों ने पारंपरिक तकनीक का प्रयोग करते हुए हाथों से तैयार किया है, जो सदियों पुरानी विधा पर आधारित है.

यह फूलदान जिंक और कॉपर के मिश्र धातु से बनाए गए हैं, जिन पर सुंदर फूलों की नक्काशी की गई है. यह फूलों के डिज़ाइन न केवल सजावटी हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति में सौंदर्य और समृद्धि के प्रतीक भी माने जाते हैं. इन पर विशेष ऑक्सीकरण प्रक्रिया की गई है, जिससे यह प्रतिष्ठित काले रंग की चमक पाते हैं. बिदरी कला का यह नमूना पारंपरिक शिल्प और आधुनिक रूप का सुंदर संयोजन है. ये फूलदान सिर्फ सजावट की वस्तु नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं, जो सौहार्द, एकता और भारतीय कारीगरी की उच्च परंपरा को दर्शाते हैं.

इस तरह के हस्तशिल्प उपहारों को अक्सर विवाह, वर्षगांठ, त्योहारों और कॉर्पोरेट अवसरों पर भेंट किया जाता है, लेकिन जब यह किसी राष्ट्राध्यक्ष को दिया जाए, तो यह न केवल भारत की कलात्मक पहचान को दर्शाता है, बल्कि दोनों देशों के रिश्तों में आत्मीयता और सम्मान भी बढ़ाता है. बिदरी वर्क आज केवल एक कारीगरी नहीं, बल्कि भारत की गौरवशाली संस्कृति और शिल्प कौशल की एक जीवंत मिसाल बन चुका है. कर्नाटक की यह अनोखी धरोहर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है.

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